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अन्धे कहार / अवतार एनगिल

अन्धे कहार
Andhe kahar.jpg
रचनाकार अवतार एनगिल
प्रकाशक पराग प्रकाशन,3,114,कर्ण गली,विश्वासनगर,शहादरा,दिल्ली-32,
वर्ष प्रथम संस्करण-1991
भाषा हिन्दी
विषय कविताएँ
विधा
पृष्ठ 94
ISBN
विविध
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अन्धे कहार

रानी जी की डोली उठा
अन्धे कहार चले

</sort> सिन्दबाद

हे यात्री
भूलना मत
कि यात्रा के पहले चरण में
तुम भी रामायण थे

आ गया मनखान

मैंने कहा था
मुझको तो आना है
फिर-फिर आना है
...
तो लो
आता हूं मैं
लेकर अपनी कथा