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कुम्भनदास
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कुम्भनदास
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जन्म | 1468 ई. अनुमानित |
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निधन | 1582 ई. अनुमानित |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
कुम्भनदास / परिचय |
प्रमुख संग्रह
- राग-कल्पद्रुम / कुम्भनदास
- राग-रत्नाकर / कुम्भनदास
प्रतिनिधि रचनाएँ
- भक्तन को कहा सीकरी सों काम / कुम्भनदास
- कितै दिन ह्वै जु गए बिनु देखे / कुम्भनदास
- माई हौं गिरधरन के गुन गाऊँ / कुम्भनदास
- कहा करौं वह मूरति जिय ते न टरई / कुम्भनदास
- सीतल सदन में सीतल भोजन भयौ / कुम्भनदास
- बैठे लाल फूलन के चौवारे / कुम्भनदास
- तुम नीके दुहि जानत गैया / कुम्भनदास
- संतन को कहा सीकरी सों काम / कुम्भनदास
- रसिकिनि रस में रहत गड़ी / कुम्भनदास
- साँझ के साँचे बोल तिहारे / कुम्भनदास
- आई ऋतु चहूँदिस फूले द्रुम / कुम्भनदास
- हमारो दान देहो गुजरेटी / कुम्भनदास
- गाय सब गोवर्धन तें आईं / कुम्भनदास
- भक्त इच्छा पूरन श्री यमुने जु करता / कुम्भनदास
- श्री यमुने पर तन मन धन प्राण वारो / कुम्भनदास
- श्री यमुने अगनित गुन गिने न जाई / कुम्भनदास
- श्री यमुने रस खान को शीश नांऊ / कुम्भनदास
अष्टछाप | ||
महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी एवं उनके पुत्र श्री विट्ठलनाथ जी द्वारा संस्थापित 8 भक्तिकालीन कवि, जिन्होंने अपने विभिन्न पदों एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया। और अधिक जानें... | ||
अष्टछाप के कवि: सूरदास । नंददास । परमानंददास । कुम्भनदास । चतुर्भुजदास । छीतस्वामी । गोविन्दस्वामी |