डॉ० कुंवर बैचेन के नवगीत
रचनाकार | कुँअर बेचैन |
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भाषा | हिन्दी |
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- गीत के जितने कफ़न हैं / कुँअर बेचैन
- बिके अभावों के हाथों / कुँअर बेचैन
- पथ में किरण-छुरे / कुँअर बेचैन
- हर आँख द्रौपदी है / कुँअर बेचैन
- सुरसा-सा मुँह फाड़ रही है / कुँअर बेचैन
- फिसल गईं स्वीकृतियां / कुँअर बेचैन
- जिंदगी अपनी नहीं / कुँअर बेचैन
- और मैं लाचार पति निर्धन / कुँअर बेचैन
- बनेंगी साँपिन / कुँअर बेचैन
- माँसाहारी जग-होटल में / कुँअर बेचैन
- जीवन उखड़ा सा नाखून / कुँअर बेचैन
- हम सब काशी के पंडे / कुँअर बेचैन
- प्राण लिपिक–से / कुँअर बेचैन
- मटमैले मेज़पोश / कुँअर बेचैन
- भारी-भारी तोपे हैं / कुँअर बेचैन