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"अमर शहीद सिदो-कान्हू / प्रदीप प्रभात" के अवतरणों में अंतर

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<poem>
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====सिद्धो-कान्हू====
जन्मभूमि सिदो-कान्हू के,
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* [[पहिलोॅ-सर्ग / सिद्धो-कान्हू / प्रदीप प्रभात]]
भोगनाडीह-कहलाबै।
+
* [[दोसरोॅ-सर्ग / सिद्धो-कान्हू / प्रदीप प्रभात]]
धन्य छै ई धरती यहीं जग्घा पर,
+
* [[तेसरोॅ-सर्ग / सिद्धो-कान्हू / प्रदीप प्रभात]]
बचपन मेॅ उछलै कुदै-खेलै।
+
* [[चौथॉ-सर्ग / सिद्धो-कान्हू / प्रदीप प्रभात]]
गुमानी के गोदी मेॅ बैठी,
+
* [[पॉचमोॅ-सर्ग / सिद्धो-कान्हू / प्रदीप प्रभात]]
कखनू पालथी मारी केॅ।
+
* [[छठॉ-सर्ग / सिद्धो-कान्हू / प्रदीप प्रभात]]
साथी-संगी साथेॅ खेलै
+
* [[सातवों-सर्ग / सिद्धो-कान्हू / प्रदीप प्रभात]]
छप-छप पानी टारी केॅ।
+
सिदू-कान्हू गुमानी मेॅ
+
पहिलेॅ खूब नहिले छै।
+
गुमानी नदी के मांटी केरो,
+
चंदन माथा देह लगैनेॅ छै।
+
संताल जनजाति लड़ाकू,
+
नाम उजागर होलोॅ छै।
+
सिदो-कान्हू, चांद भायरो
+
इतिहास पुरूष कहलाबै छै।
+
संताल हुल यहीं धरती सेॅ,
+
पहिलेॅ होलोॅ छै जारी।
+
सिदू-कान्हू चांद भायरो,
+
अंग्रेजोॅ पर पड़लै भारी।
+
तीस-जून अठारह सौ पचपन मेॅ,
+
फूकलोॅ गेलोॅ छेलै हूल बिगूल
+
गवाही छै भोगनाडीह, गाँव,
+
नय मिललै, अंग्रेजोॅ केॅ छाँव।
+
अंग्रेजोॅ सेॅ टक्कर लै लेॅ,
+
भुजा यहाँ पर फड़कै छै।
+
अंग्रेज-महाजनोॅ के जुल्म मिटाबै खातिर,
+
कवच हृदय के कड़कै छै।
+
राजमहल के पहाड़ी जंगल झरना,
+
सिदो-कान्हू चांद भायरो के डेरा।
+
 
+
लम्बा डेग धरनेॅ जबेॅ निकलै,
+
सिदो-कान्हू बरगद के नजदीक।
+
चाँद, भायरो धनुष निकालै,
+
करै धनुष के डोरी ठीक।
+
सिदो-कान्हू कहै छेलै जेना होतै,
+
अंग्रेजोॅ सेॅ आय लेबै फड़ियाय।
+
तीर-धनुष आरो कुल्हाड़ी सेॅ,
+
अंग्रेजोॅ के देना छै छितराय।
+
सिदो-कान्हू आपनोॅ तीरोॅ सेॅ,
+
अंग्रेजोॅ केॅ देलकै विथराय।
+
सिदो-कान्हू के आगूं होलै,
+
शासन-सूरज-अस्त।
+
अंग्रेज महाजनों केॅ,
+
करियेॅ छोड़कै पस्त।
+
ई धरती धन्य-धन्य छै,
+
ऊ मैय्या के हृदय विशाल।
+
जे कोखी जनम लेनेॅ रहै
+
सिदो-कान्हू चांद भायरों रै लाल।
+
विश्वविद्यालय सिदू-कान्हू मुर्मू दुमका,
+
अमर शहीदों के नाम सजाबै आपनोॅ भाल।
+
संताल परगना के चौंक-चौराहा,
+
सिदो-कान्हू के मूर्ति छै मिशाल।
+
सिदो-कान्हू सेॅ बढ़लोॅ छै,
+
विश्व विद्यालय के मान।
+
11 अप्रैल सिदो के जयन्ती,
+
30 जून केॅ हूल दिवस मनावै छै।
+
सिदो-कान्हू, चांद, भायरो मूर्ति आगू
+
अंग जनपद के लोगेॅ माथोॅ झुकावै छै।
+
</poem>
+

15:13, 18 मई 2018 के समय का अवतरण

अमर शहीद सिदो-कान्हू
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रचनाकार प्रदीप प्रभात
प्रकाशक
वर्ष
भाषा अंगिका
विषय
विधा
पृष्ठ
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

सिद्धो-कान्हू