भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
छंद-बद्ध / प्रताप नारायण सिंह
Kavita Kosh से
- रौद्र–रूद्र / प्रताप नारायण सिंह
- सबके अपने अपने दुःख हैं / प्रताप नारायण सिंह
- शून्य की ओर कदम बढ़ाते लोगों से / प्रताप नारायण सिंह
- तुम भी चलो, हम भी चलें / प्रताप नारायण सिंह
- याद / प्रताप नारायण सिंह
- प्रयाण गीत / प्रताप नारायण सिंह
- प्रतीक्षा / प्रताप नारायण सिंह
- प्राण प्रिये जब तुम आओगी / प्रताप नारायण सिंह
- स्वप्न / प्रताप नारायण सिंह
- जिस पल मुझको कन्ठ लगाते / प्रताप नारायण सिंह