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लिम्बुनी गाउँ / राज माङ्लाक
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लिम्बुनी गाउँ / राज माङ्लाक
रचनाकार | राज माङ्लाक |
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प्रकाशक | शिखा बुक्स |
वर्ष | असार २०७४ |
भाषा | नेपाली |
विषय | कवितासङ्ग्रह |
विधा | |
पृष्ठ | १०२ |
ISBN | 978-9937-9178-5-8 |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
पहिलो खण्ड - साँवा खोलाको गीत
- बाँच्नुको मज्जा / राज माङ्लाक
- चियर्स / राज माङ्लाक
- लिम्बुनी माया / राज माङ्लाक
- दिनचर्या / राज माङ्लाक
- ओ समय / राज माङ्लाक
- यासोकेनी बजू / राज माङ्लाक
- तक्दिर / राज माङ्लाक
- लिम्बुनी गाउँ. / राज माङ्लाक
- राष्ट्रियता / राज माङ्लाक
- डिप्लोमेट देवता / राज माङ्लाक
- आदाङ्मे / राज माङ्लाक
- साँवा खोलाको गीत / राज माङ्लाक
- यौटा मिल्कि सकेको पर्स देखेपछि ... / राज माङ्लाक
दोश्रो खण्ड - अक्षरहरूको मौलो
- स्वतन्त्रता / राज माङ्लाक
- समयको राज-मार्गमा पोट्रेट सालिक / राज माङ्लाक
- लिटिल व्वाइ / राज माङ्लाक
- अक्षरहरूको मौलो / राज माङ्लाक
- कुण्डलिनी / राज माङ्लाक
- हाँस्छ लठेब्रो फेदेन काठमाण्डू / राज माङ्लाक
- सिमेक्वा चरी / राज माङ्लाक
- फ्याट म्यान / राज माङ्लाक
- बूढा सुब्बा / राज माङ्लाक
तेश्रो खण्ड - समय सन्नाटामा : मध्यदिनको सडक समाधि
- समय सन्नाटामा : सध्यदिनको सडक समाधि / राज माङ्लाक
- अर्ती / राज माङ्लाक
- फेदेन / राज माङ्लाक
- धर्तीका फूलहरू / राज माङ्लाक
- अब, साँझ यस्तरी बोकिदिन्छ / राज माङ्लाक
- यक्ष प्रश्नहरू / राज माङ्लाक
- सलाम टाँगिएको टेलिग्राममा जिन्दगी / राज माङ्लाक
- जीवनः निर्वासित लगातार शताब्दीमा / राज माङ्लाक
- अस्तित्वको हिरासत तोडेरः वर्तमान / राज माङ्लाक
- समय सन्नाटामा: मध्यदिनको सडक समाधि / राज माङ्लाक