भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सरहपा
Kavita Kosh से
सरहपा
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | 8वीं शताब्दी (पूर्व भाग) अनुमानित |
---|---|
निधन | 8वीं शताब्दी अनुमानित |
उपनाम | सरोरुह वज्र, राहुल भद्र |
जन्म स्थान | ग्राम राज्ञी, भागलपुर (भंगल) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
दोहाकोशगीति | |
विविध | |
आदिकाल (अपभ्रंश) के कवि। इन्हें हिन्दी का पहला कवि माना जाता है। इनसे पहले कवि बाण का नाम आता है, लेकिन बाण की रचनाएँ उपलब्ध नहीं हैं। | |
जीवन परिचय | |
सरहपा / परिचय |
राहुल सांकृत्यायन द्वारा अनूदित वज्रगीतियाँ
- जिमि पवन-घाते अचल जल / सरहपा
- पशु जिसमें दुःख न करै, पंडित उसमें दुःख भरै / सरहपा
- विकसित आनन्द का विषय पाइ / सरहपा
- जो परखै, सर्प डंसै, सोई मरै / सरहपा
- तर्जनी से लखाए अन्तरिक्ष दीखै नही गुरु से लखाया / सरहपा
- पथरकटनी और श्वेतपटी / सरहपा
सरहपा के पद
- अद्भुत हुंकार - भव चित्त गगने / सरहपा
- रण्डी -मुण्डी अण्णवि बेसें / सरहपा
- दुलि दुहि पिटा धरण न जाउ / सरहपा
- ऊँचा-ऊँचा पाबत, तहिं वसै सबरी वाला / सरहपा
- ब्राह्मण न जानते भेद / सरहपा
- ध्यान-रहित क्या कीजै ध्यानै / सरहपा
- गुरु के वचन अमियरस / सरहपा
- खाते पीते सुरत रमंते / सरहपा
- एहिं सों सरस्वती प्रयाग / सरहपा