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"लावण्या शाह" के अवतरणों में अंतर

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*[[सन्दर्भ /  लावण्या शाह]]
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ज्योति का जो दीप से ,
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मोती का जो सीप से ,
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वही रिश्ता , मेरा , तुम से !
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प्रणय का जो मीत से ,
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स्वरों का जो गीत से ,
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वही रिश्ता मेरा , तुम से !
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गुलाब का जो इत्र से ,
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तूलिका का जो चित्र से ,
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वही रिश्ता मेरा , तुम से !
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सागर का जो नैय्या से ,
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पीपल का जो छैय्याँ से ,
+
वही रिश्ता मेरा , तुम से !
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पुष्प का जो पराग से ,
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कुमकुम का जो सुहाग से ,
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वही रिश्ता मेरा , तुम से !
+
नेह का जो नयन से , डाह का जो जलन से ,
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वही रिश्ता मेरा , तुम से !
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दीनता का शरण से ,
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काल का जो मरण से ,
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वही रिश्ता मेरा , तुम से !
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भग्न उर की कामना के दीप,
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तुम, कर में लिये,मौन, निमंत्र्ण, विषम, किस साध में हो बाँटती?
+
है प्रज्वलित दीप, उद्दीपित करों पे,
+
नैन में असुवन झड़ी!
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है मौन, होठों पर प्रकम्पित,
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नाचती, ज्वाला खड़ी!
+
बहा दो अंतिम निशानी, जल के अंधेरे पाट पे,
+
' स्मृतिदीप ' बन कर बहेगी, यातना, बिछुड़े स्वजन की!
+
एक दीप गंगा पे बहेगा,
+
रोयेंगी, आँखें तुम्हारी।
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धुप अँधकाररात्रि का तमस।
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पुकारता प्यार मेरा तुझे, मरण के उस पार से!
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बहा दो, बहा दो दीप को
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जल रही कोमल हथेली!
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हा प्रिया! यह रात्रिवेला औ '
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सूना नीरवसा नदी तट!
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नाचती लौ में धूल मिलेंगी,
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प्रीत की बातें हमारी!
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  जब काली रात बहुत गहराती है, तब सच कहूँ, याद तुम्हारी आती है !
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जब काले मेघोँ के ताँडव से,सृष्टि डर डर जाती है,
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तब नन्हीँ बूँदोँ मेँ, सारे,अँतर की प्यास छलकाती है.
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जब थक कर, विहँगोँ की टोली, साँध्य गगन मे खो जाती है,
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तब नीड मेँ दुबके पँछी -सी, याद, मुझे अक्स्रर अकुलाती है!
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जब भीनी रजनीगँधा की लता, खुदब~ खुद बिछ जाती है,
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तब रात भर, माटी के दामन से, मिलकर, याद, मुझे तडपाती है !
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जब हौलेसे सागर पर , माँझी की कश्ती गाती है,
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तब पतवार के सँग कोई, याद दिल चीर जाती है!
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जब पर्बत के मँदिर पर,घँटियाँ नाद गुँजातीँ हैँ
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तब मनके दर्पण पर पावन माँ की छवि दीख जाती है!
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जब कोहरे से लदी घाटीयाँ,कुछ पल ओझल हो जातीँ हैं
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तब तुम्हेँ खोजते मेरे नयनोँ के किरन पाखी मेँ समातीँ हैं
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वह याद रहा,यह याद रहा, कुछ भी तो ना भूला मन!
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मेघ मल्हार गाते झरनोँ से जीत गया बैरी सावन!
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हर याद सँजोँ कर रख लीँ हैँ मन मेँ,
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याद रह गईँ, दूर चला मन! ये कैसा प्यारा बँधन!
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00:14, 29 जून 2008 का अवतरण

लावण्या शाह की रचनाएँ

लावण्या शाह
Lavanya.jpg
जन्म 22 नवम्बर 1950
निधन
उपनाम लावणी
जन्म स्थान मुम्बई, महाराष्ट्र, भारत
कुछ प्रमुख कृतियाँ
फिर गा उठा प्रवासी - कविता संग्रह छप कर तैयार है
विविध
लावण्या शाह हिन्दी के सुप्रसिद्ध कवि पंडित नरेन्द्र शर्मा की सुपुत्री हैं।
जीवन परिचय
लावण्या शाह / परिचय
कविता कोश पता
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