भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"रामगोपाल 'रुद्र'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Arti Singh (चर्चा | योगदान) छो |
|||
(एक अन्य सदस्य द्वारा किया गया बीच का एक अवतरण नहीं दर्शाया गया) | |||
पंक्ति 4: | पंक्ति 4: | ||
|नाम=रामगोपाल 'रुद्र' | |नाम=रामगोपाल 'रुद्र' | ||
|उपनाम= | |उपनाम= | ||
− | |जन्म=01 | + | |जन्म=01 नवम्बर 1912 |
|जन्मस्थान=तरेगना, बिहार | |जन्मस्थान=तरेगना, बिहार | ||
|मृत्यु=19 अगस्त 1991 | |मृत्यु=19 अगस्त 1991 | ||
पंक्ति 23: | पंक्ति 23: | ||
* '''[[शब्दवेध / रामगोपाल 'रुद्र']]''' | * '''[[शब्दवेध / रामगोपाल 'रुद्र']]''' | ||
====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ==== | ====कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ==== | ||
+ | * [[रुद्र स्तवन / रामगोपाल 'रुद्र']] | ||
+ | * [[भूला राग / रामगोपाल 'रुद्र']] | ||
+ | * [[बहुत मैंने पुकारा, ओ पिया! / रामगोपाल 'रुद्र']] | ||
+ | * [[एक वस्तु है, एक बिंब है / रामगोपाल 'रुद्र']] | ||
+ | * [[हिमशिखर (कविता) / रामगोपाल 'रुद्र']] | ||
+ | * [[दुनिया ना मानेगी कब तक? / रामगोपाल 'रुद्र']] | ||
+ | * [[तू मुझको यदि पद-गति देगा / रामगोपाल 'रुद्र']] | ||
+ | * [[ज्योति-करों से स्पर्श करो हे / रामगोपाल 'रुद्र']] | ||
+ | * [[रस की ऋतु बीत गई / रामगोपाल 'रुद्र']] | ||
+ | * [[पंगु मुझे करके / रामगोपाल 'रुद्र']] |
17:50, 7 जनवरी 2023 के समय का अवतरण
रामगोपाल 'रुद्र'
© कॉपीराइट: रामगोपाल 'रुद्र'। कविता कोश के पास संकलन की अनुमति है। इन रचनाओं का प्रयोग रामगोपाल 'रुद्र' की अनुमति के बिना कहीं नहीं किया जा सकता।
जन्म | 01 नवम्बर 1912 |
---|---|
निधन | 19 अगस्त 1991 |
जन्म स्थान | तरेगना, बिहार |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
शिंजिनी, द्रोण, मूर्च्छना, हिमशिखर, मीड़, शब्दवेध, हर अक्षर है टुकड़ा दिल का | |
विविध | |
बिहार सरकार द्वारा दिनकर पुरस्कार ( 1991 ) | |
जीवन परिचय | |
रामगोपाल 'रुद्र' / परिचय |
कविता संग्रह
- शिंजिनी / रामगोपाल 'रुद्र'
- मूर्च्छना / रामगोपाल 'रुद्र'
- हिमशिखर / रामगोपाल 'रुद्र'
- मीड़ / रामगोपाल 'रुद्र'
- शब्दवेध / रामगोपाल 'रुद्र'
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- रुद्र स्तवन / रामगोपाल 'रुद्र'
- भूला राग / रामगोपाल 'रुद्र'
- बहुत मैंने पुकारा, ओ पिया! / रामगोपाल 'रुद्र'
- एक वस्तु है, एक बिंब है / रामगोपाल 'रुद्र'
- हिमशिखर (कविता) / रामगोपाल 'रुद्र'
- दुनिया ना मानेगी कब तक? / रामगोपाल 'रुद्र'
- तू मुझको यदि पद-गति देगा / रामगोपाल 'रुद्र'
- ज्योति-करों से स्पर्श करो हे / रामगोपाल 'रुद्र'
- रस की ऋतु बीत गई / रामगोपाल 'रुद्र'
- पंगु मुझे करके / रामगोपाल 'रुद्र'