भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"बावरिया बरसाने वाली / प्रेम नारायण 'पंकिल'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 10: | पंक्ति 10: | ||
* [[था कहा "अधर-रस-सुधा पिला" तन्वंगी ने तब था पूछा । / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | * [[था कहा "अधर-रस-सुधा पिला" तन्वंगी ने तब था पूछा । / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
* [[सुधि करो कहा था तुमने ही "चाहता नहीं कुछ और प्रिये! / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | * [[सुधि करो कहा था तुमने ही "चाहता नहीं कुछ और प्रिये! / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
+ | * [[सुधि करो प्राण पूछा तुमने "क्यों मौन खड़ी ब्रजबाला हो? / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
+ | * [[कहते थे "मौन उषा गवाक्ष से प्राण! झांकता सविता हो / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
+ | * [[सुधि करो प्राण पूछा तुमने " वह पीर प्रिये क्या होती है / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
+ | * [[सुधि करो प्राण थी अंकगता किसलय काया अधखुले नयन। / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
+ | * [[भूलते न क्षण प्रियतम इंगित से तुमने मुझे बुलाया था। / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
+ | * [[सुधि करो कहा "क्यों स्नेह-सलिल संकुल तेरे कुवलय लोचन / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
+ | * [[पूछा "क्यों उर्मिल उदधि चंद्रकर झूम झूम चूमता सदा / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
+ | * [[पूछा था " क्यों अन्तक करस्थ सायक सहलाता मृगछौना / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
+ | * [[पूछा तुमने अति पास बैठ " अब भी न जान पाया आली / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
+ | * [[/प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
* [[ / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | * [[ / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | ||
* [[ / प्रेम नारायण 'पंकिल']] | * [[ / प्रेम नारायण 'पंकिल']] |
19:18, 24 जनवरी 2009 का अवतरण
- व्रजमंडल नभ में उमड़-घुमड़ घिर आए आषाढ़ी बादल / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- थे नाप रहे नभ ओर-छोर चढ़ धारधार पर धाराधर / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- पी कहाँ पी कहाँ रटे जा रहा था पपीहरा उत्पाती / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- भर रही अंग में थी अनंग-मद सिहर लहर पुरवईया की / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- सिक्ता कर रही सुरंग चूनरी ऋतु पावसी निगोड़ी थी / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- बोली "सुधि करो प्राण !कहते थे हमने देखा है सपना / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- कहते "तव अरुण राग पद से भू अम्बर छपना देखा था / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- था कहा "धूसरित ग्रीष्म गगन या सरस बरसता पावस हो। / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- तुम मसृण पाणि मम पड़ सहला सो गए प्राण ले मधु सपना। / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- था कहा "अधर-रस-सुधा पिला" तन्वंगी ने तब था पूछा । / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- सुधि करो कहा था तुमने ही "चाहता नहीं कुछ और प्रिये! / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- सुधि करो प्राण पूछा तुमने "क्यों मौन खड़ी ब्रजबाला हो? / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- कहते थे "मौन उषा गवाक्ष से प्राण! झांकता सविता हो / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- सुधि करो प्राण पूछा तुमने " वह पीर प्रिये क्या होती है / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- सुधि करो प्राण थी अंकगता किसलय काया अधखुले नयन। / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- भूलते न क्षण प्रियतम इंगित से तुमने मुझे बुलाया था। / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- सुधि करो कहा "क्यों स्नेह-सलिल संकुल तेरे कुवलय लोचन / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- पूछा "क्यों उर्मिल उदधि चंद्रकर झूम झूम चूमता सदा / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- पूछा था " क्यों अन्तक करस्थ सायक सहलाता मृगछौना / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- पूछा तुमने अति पास बैठ " अब भी न जान पाया आली / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- /प्रेम नारायण 'पंकिल'
- / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- / प्रेम नारायण 'पंकिल'
- / प्रेम नारायण 'पंकिल'