भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शकेब जलाली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
Pratishtha (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 24: | पंक्ति 24: | ||
* [[लौ दे उठे वो हर्फ़-ए-तलब सोच रहे हैं / शकेब जलाली]] | * [[लौ दे उठे वो हर्फ़-ए-तलब सोच रहे हैं / शकेब जलाली]] | ||
* [[जहाँ तलक भी ये सेहरा दिखाई देता है / शकेब जलाली]] | * [[जहाँ तलक भी ये सेहरा दिखाई देता है / शकेब जलाली]] | ||
+ | * [[उतरीं अजीब रोशनियाँ रात ख़्वाब में / शकेब जलाली]] | ||
</sort> | </sort> |
00:12, 15 मई 2009 का अवतरण
शकेब जलाली
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | |
---|---|
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
शकेब जलाली / परिचय |
<sort order="asc" class="ul">
- आके पत्थर तो मेरे सहन में दो-चार गिरे \ शकेब जलाली
- जाती है धूप उजले परों को समेट के \ शकेब जलाली
- मुरझा के काली झील में गिरते हुए भी देख \ शकेब जलाली
- फिर सुन रहा हूँ गुज़रे ज़माने की चाप को / शकेब जलाली
- पास रह के भी बोहत दूर हैं दोस्त / शकेब जलाली
- खामोशी बोल उठे, हर नज़र पैगाम हो जाये / शकेब जलाली
- गले मिला न कभी चाँद बख्त ऐसा था / शकेब जलाली
- वही झुकी हुई बेलें वही दरीचा था / शकेब जलाली
- लौ दे उठे वो हर्फ़-ए-तलब सोच रहे हैं / शकेब जलाली
- जहाँ तलक भी ये सेहरा दिखाई देता है / शकेब जलाली
- उतरीं अजीब रोशनियाँ रात ख़्वाब में / शकेब जलाली
</sort>