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+ | * [[मेहराब थी जो सिर पे, धमक से बिखर गई / योगेन्द्र दत्त शर्मा]] | ||
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+ | * [[चाँदनी, जंगल, मरुस्थल, भीड़, चौराहे, नदी / योगेन्द्र दत्त शर्मा]] | ||
+ | * [[आ कि अब मृतप्राय-से-इतिहास को ज़िन्दा करें / योगेन्द्र दत्त शर्मा]] | ||
+ | * [[हर तरफ अन्धी सियासत है, बताओ क्या करें ? / योगेन्द्र दत्त शर्मा]] | ||
+ | * [[सोच कर बोलता हूँ मैं सबसे / योगेन्द्र दत्त शर्मा]] | ||
+ | * [[हर क़दम पर एक क़ौमी गीत गाते जाइए / योगेन्द्र दत्त शर्मा]] | ||
+ | * [[जिन्हें सुने तो कोई बेनक़ाब हो जाए / योगेन्द्र दत्त शर्मा]] |
18:36, 22 फ़रवरी 2014 के समय का अवतरण
नक़ाब का मौसम
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रचनाकार | योगेन्द्र दत्त शर्मा |
---|---|
प्रकाशक | काकली प्रकाशन, के० बी० 47, कविनगर, गाज़ियाबाद- 201002 |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 80 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- घर से घर का-सा वास्ता न रहा / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- तू क्यों सूली चढ़ा जा रहा, क्या तू कोई ईसा है? / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- मेहराब थी जो सिर पे, धमक से बिखर गई / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- हम जुड़े,पर अवान्छितों की तरह / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- चाँदनी, जंगल, मरुस्थल, भीड़, चौराहे, नदी / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- आ कि अब मृतप्राय-से-इतिहास को ज़िन्दा करें / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- हर तरफ अन्धी सियासत है, बताओ क्या करें ? / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- सोच कर बोलता हूँ मैं सबसे / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- हर क़दम पर एक क़ौमी गीत गाते जाइए / योगेन्द्र दत्त शर्मा
- जिन्हें सुने तो कोई बेनक़ाब हो जाए / योगेन्द्र दत्त शर्मा