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21:30, 14 मई 2020 के समय का अवतरण
अकाल में सारस
रचनाकार | केदारनाथ सिंह |
---|---|
प्रकाशक | राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली |
वर्ष | 1988 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता-संग्रह |
विधा | |
पृष्ठ | 110 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- इन कविताओं के बारे में / केदारनाथ सिंह
- मातृभाषा / केदारनाथ सिंह
- अँगूठे का निशान / केदारनाथ सिंह
- एक छोटा सा अनुरोध / केदारनाथ सिंह
- फलों में स्वाद की तरह / केदारनाथ सिंह
- सूर्यास्त के बाद एक अँधेरी बस्ती से गुज़रते हुए / केदारनाथ सिंह
- कुछ सूत्र जो एक किसान बाप ने बेटे को दिए / केदारनाथ सिंह
- अकाल में दूब / केदारनाथ सिंह
- अकाल में सारस. / केदारनाथ सिंह
- होंठ / केदारनाथ सिंह
- ओ मेरी उदास पृथ्वी / केदारनाथ सिंह
- एक मुकुट की तरह/ केदारनाथ सिंह
- काली मिट्टी/ केदारनाथ सिंह
- नदी / केदारनाथ सिंह
- दाने / केदारनाथ सिंह
- जूते/ केदारनाथ सिंह
- छोटे शहर की एक दोपहर/ केदारनाथ सिंह
- वह / केदारनाथ सिंह
- एक दिन हँसी-हँसी में / केदारनाथ सिंह
- आना / केदारनाथ सिंह
- दूसरे शहर में / केदारनाथ सिंह
- धीरे-धीरे हम / केदारनाथ सिंह
- अड़ियल साँस / केदारनाथ सिंह
- न होने की गंध / केदारनाथ सिंह
- लोककथा / केदारनाथ सिंह
- घुलते हुए गलते हुए / केदारनाथ सिंह
- एक कविता--निराला को याद करते हुए/ केदारनाथ सिंह
- नए शहर में बरगद / केदारनाथ सिंह
- पूंजी / केदारनाथ सिंह
- रक्त में खिला हुआ कमल/ केदारनाथ सिंह
- सड़क पर दिख गए कवि त्रिलोचन / केदारनाथ सिंह
- आँकुसपुर / केदारनाथ सिंह
- रास्ता / केदारनाथ सिंह
- भर जाएगा बहुत-कुछ / केदारनाथ सिंह
- एक लम्बे अन्तराल के बाद गंगा को देखकर / केदारनाथ सिंह
- बालू का स्पर्श / केदारनाथ सिंह
- पर्वस्नान / केदारनाथ सिंह
- फिर बजी घंटी / केदारनाथ सिंह
- रसोईघर में चाकू / केदारनाथ सिंह
- जन्मदिन की धूप में / केदारनाथ सिंह
- ज़िद / केदारनाथ सिंह
- धब्बा / केदारनाथ सिंह
- कूड़ा / केदारनाथ सिंह
- एक और अकाल / केदारनाथ सिंह
- बोझे / केदारनाथ सिंह
- पशुमेला / केदारनाथ सिंह
- पाँच पिल्ले / केदारनाथ सिंह
- एक दिन भक से / केदारनाथ सिंह
- एक कालजयी कृति-सी / केदारनाथ सिंह
- टहलते हुए बूढ़े / केदारनाथ सिंह
- दुख-1 / केदारनाथ सिंह
- दुख-2 / केदारनाथ सिंह
- रात में सिलाई / केदारनाथ सिंह
- बनता हुआ घर / केदारनाथ सिंह
- भूकम्प जैसी एक रात / केदारनाथ सिंह
- कठिन शीत में / केदारनाथ सिंह
- चिट्ठी / केदारनाथ सिंह
- चेहरा / केदारनाथ सिंह
- ठंड से नहीं मरते शब्द / केदारनाथ सिंह
- इन्द्रियबोध / केदारनाथ सिंह
- उम्मीद नहीं छोड़ती कविताएँ / केदारनाथ सिंह
- प्रिय पाठक / केदारनाथ सिंह