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23:14, 23 जून 2009 का अवतरण
गुलाब खंडेलवाल
जन्म | 21 फ़रवरी 1924 |
---|---|
जन्म स्थान | नवलगढ़, जिला झुझनू, राजस्थान, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
सौ गुलाब खिले, गुलाब-ग्रंथावली, देश विराना है, पंखुरियां गुलाब की [ पूरी सूची ] | |
विविध | |
-- | |
जीवन परिचय | |
गुलाब खंडेलवाल / परिचय |
- गज़लें
- सौ गुलाब खिले
- अंधेरी रात के परदे में झिलमिलाया किये
- अगर समझो तो मैं ही सब कहीं हूँ
- अपने हाथों से ज़हर भी जो पिलाया होता!
- अब क्यों उदास आपकी सूरत भी हुई है
- अब हमारे वास्ते दुनिया ठहर जाए तो क्या!
- आँखों-आँखों में ही दोस्ती हो गयी
- आज तो शीशे को पत्थर पे बिखर जाने दे
- आप क्यों जान को यह रोग लगा लेते हैं
- आप, हम और कुछ भी नहीं!
- आये थे जो बड़े ही ताव के साथ
- उतरती आ रही हैं प्राण में परछाइयां किसकी!
- उनकी आँखों में प्यास देखेंगे
- उन्हींकी राह में मरना कहीं होता तो क्या होता!
- उन्हें बाँहों में बढ़कर थाम लेंगे
- एक अनजान बिसुधपन में जो हुआ सो ठीक
- कभी सर झुका के चले गए, कभी मुँह फिरा के चले गये
- कभी हमसे खुलो जाने के पहले
- कहाँ पर हमको उमीदों ने लाके छोड़ दिया
- क्या ज़िन्दगी को दीजिये क्या-क्या न दीजिये!
- क्या बने हमसे भला कागज़ की तलवारों से आज!
- किसीकी शबनमी आँखों में झिलमिलाये हुए
- कुछ उन्हें मेरा ध्यान हो भी तो!
- कुछ ऐसे साज को हमने बजाके छोड़ दिया
- कुछ जगह उनके दिल में पा ही गयी
- कुछ हम भी लिख गये हैं तुम्हारी किताब में / सौ गुलाब खिले
- कोई साथी भी नहीं, कोई सहारा भी नहीं
- कोई हमीं से आँख चुराए तो क्या करें!
- कोई हमें सताए, सताता ही जाए तो
- खनक कुछ कम भी हो तो कम नहीं है
- खिली गुलाब की दुनिया तो है सभी के लिये
- चुप तो किसी भी बात पर रहते नहीं हैं हम
- चले भी आइये क्यारी में सौ गुलाब खिले
- जहां है दिल ने पुकारा, वहीं जाना होगा
- जान उन पर लुटाके बैठ गए
- ज़िन्दगी को यों ही भरमाया किये
- ज़िन्दगी दर्द का दाह है
- जो कहते हैं, 'हमसे लड़ाई हुई है'
- जो जीवन में दुःख की घटा बन गयी है
- जो पीने में ज्यादा या कम देखते हैं
- जो रोते हैं ऐसी ही बातों में आप
- झलक भी प्यार की कुछ उसमें मिल गयी होती
- तुम्हारे रूप को चाहे भला कहे तो कहे
- तेरी तिरछी अदाओं पर जिन्हें मरना नहीं आता
- दम न छूटे तो चारा नहीं
- दिया भी याद का इसमें जला के रक्खा है
- दिल के लुट जाने का गम कुछ भी नहीं!
- दिल्लगी और ही है, दिल की लगी और ही है
- दिल उनसे प्यार के नाते तो कोई दूर न था
- दिल की तड़पन देखिये, दुनिया की ठोकर देखिये
- दिल को तुम्हारे वादे का ऐतबार तो रहे
- दीप जलता ही रहेगा रात भर
- दुनिया को अपनी बात सुनाने चले हैं हम
- दो घड़ी की हँसी-खुशी के लिए
- नज़र अब उनसे मिलाने की बात कौन करे!
- नज़र नज़र से ही टकराए और कुछ मत हो
- नज़र से दूर भी जाने से कोई दूर न था
- नहीं एक दिल की लगी छूटती है
- नहीं कोई भी मरने के सिवा अब काम बाक़ी है
- नहीं दुःख ये भार होता, न ये इंतज़ार होता
- न होंठ तक कभी आई, न मन के द्वार गयी
- निराश प्राण में आशा के सुर सजाते चलो
- पहले तो मेरे दर्द को अपना बनाइए
- प्यार की बात न कर प्यार को बस रहने दे
- प्यार को हम न कोई नाम दिया चाहते हैं
- प्यार में यों भी जीना हुआ
- नयी ग़ज़लें
- अब कहाँ चाँद-सितारे हैं नज़र के आगे! / नई ग़ज़लें
- साथ हरदम भी बेनकाब नहीं / नई ग़ज़लें
- यों तो खुशी के दौर भी होते है कम नहीं / नई ग़ज़लें
- तेरी अदाओं का हुस्न तो हम छिपाके ग़ज़लों में रख रहे हैं / नई ग़ज़लें
- फिर इस दिल के मचलने की कहानी याद आती है / नई ग़ज़लें
- उम्र भर खाक़ ही छाना किये वीराने की / नई ग़ज़लें
- अदाओं की तेरी जादूगरी जानी नहीं जाती / नई ग़ज़लें
- कभी धड़कनों में है दिल की तू, कभी इस जहान से दूर है / नई ग़ज़लें
- कुछ और गुलाब
- अब न जाने की करो बात, करीब आ जाओ
- आँखें भरी-भरी मेरी कुछ और नहीं है
- आँखों-आँखों मुस्कुराना खूब है!
- आओ कुछ देर गले लग लें ठहर के
- आईने में जब उसने अपना चाँद-सा मुखड़ा देखा होगा
- आपने ज़िन्दगी न दी होती
- इस दिल में तड़पने के अरमान ही अच्छे हैं
- इस बेरुखी से प्यार कभी छिप नहीं सकता
- उस नज़र पे छाये हुए और सौ गुलाब
- एक से एक बढ़कर चले
- एक अनबुझी सी चाह मेरे साथ रही है
- ऐ ग़म न छोड़ना हमें इस ज़िन्दगी के साथ
- कभी बेसुधी में रुके नहीं, कभी भीड़ देखके डर गये
- कहते रहे हैं दिल की कहानी सभी से हम
- क्या कहा, 'अब तो कोई ग़म न होगा!'
- कहनी है कोई बात मगर भूल रहे हैं
- कितनी भी दूर जाके बसे हों निगाह से
- कुछ तो आगे इस गली के मोड़ पर आने को है
- कुछ भी नहीं, जो हमसे छिपाते हो, ये क्या है!
- कोई ऊंची अटारी पे बैठा रहा, हाय! हमने उसे क्यों पुकारा नहीं!
- कोई मंजिल नयी हरदम है नज़र के आगे
- ख़त्म रंगों से भरी रात हुई जाती है
- चढी घूँट भर ही, क़दम डगमगाया
- हो न मुश्किल ये तड़पना मगर आसान नहीं
- चाह अब भी हो उसे मेरी, ज़रूरी तो नहीं
- जो भी जितनी दूर तक आया, उसे आने दिया
- जो भी वादे कराये गये
- ठुमरी-सी भैरवी की खुमारी शराब की
- तुम्हें प्यार करने को जी चाहता है
- दिन जिन्दगी के यों भी गुज़र जायँ तो अच्छा
- दिल के शीशे में कोई चाँद चमकता ही रहा
- दिल तो मिलता है, निगाहें न मिलें भी तो क्या!
- धुन प्यार की जो समझे न उन्हें, यह दिल की कहानी क्या कहिये!
- धोखा कहें, फरेब कहें, हादसा कहें
- नज़र उनसे छिपकर मिलाई गयी है
- नहीं एक अपनी व्यथा कह गये
- नशा प्यार का आज टूटे तो टूटे
- नाम यों तो सभी के बाद आया
- परदेदारी भी, बेहीज़ाबी भी
- प्यार की बात भी भारी है, इसे कुछ न कहो
- प्यार की राह में रोने से तो बाज़ आये हम
- प्यार की हमको ज़रूरत कभी ऐसी तो न थी!
- प्यार पर आँच न आये मेरे जाने के बाद
- प्यार यों तो सभी से मिलता है
- प्यार हमने किया, उनपे अहसान क्या,
- प्यार हुआ ऐसे तो नहीं
- पिएगा छक के कोई, कोई घूँट भर को तरसेगा
- पीने का नहीं हम पे नशा और ही कुछ है
- पीने की देर है न पिलाने की देर है
- फिर उन्हीं आँखोंकी खुशबू में नहाने के लिये
- फिर-फिर वही धुन लेकर यों किसने पुकारा है!
- फिर मुझे नरगिसी आँखों की महक पाने दो
- फूँक देना न इसे काठ के अंबार के साथ
- बन के दीवाना न यों महफ़िल में आना चाहिए
- बस कि मेहमान सुबह-शाम के हैं
- बात ऐसी न सुनी थी किसी दीवाने में
- बेकहे भी न रहा जाय और क्या कहिए!
- मिलके नहीं बिछुडेंगे जहाँ हम, ऐसा भी कोई देश तो होगा!
- मिलना न अब हमारा हो भी अगर तो क्या है!
- मुट्ठी में अब ये चाँद सितारे हुए तो क्या!
- मुँह खोलके हमसे जो मिलते न बना होता
- मेरी आँखों में जब तक नमी है
- यह सितारों से भरी रात हमारी कब थी!
- याद मरने पे ही किया तुमने
- ये प्यार के वादे क्या सुनिए, यह दिल की कहानी क्या कहिए!
- यों तो अनजान लगता रहे
- यों तो हमसे न कोई बात छिपायी जाती
- यों तो बदली हुई राहों की भी मजबूरी थी
- यों तो परदे नज़र के रहे
- यों तो होठों से कुछ न कहता है
- यों तो इस दिल के कदरदान बहुत कम हैं आज
- यों निगाहें थीं शरमा गयीं
- लगा कि अब तेरी बाँहों में कोई और भी है
- लीजिये बढ़के अपनी बाँहों में
- वीणा को यों ही हाथ में थामे हुए हैं हम
- समझे न दिल की बात इशारे को देखकर
- सही है, ठीक है, हमने ये गम सहे ही नहीं
- साज़ यह छेड़ रहा कौन है, हमारे सिवा!
- सारी दुनिया पे कहर ढा देना
- हर क़दम, हर क़दम, हर क़दम
- हरेक सवाल पे कहते हो कि यह दिल क्या है
- हो न मुश्किल ये तड़पना मगर आसान नहीं
- नयी ग़ज़लें