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चराग़े-दिल / देवी नांगरानी


चराग़े-दिल
रचनाकार देवी नांगरानी
प्रकाशक
वर्ष
भाषा हिन्दी
विषय
विधा
पृष्ठ
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।


दर्द बनकर समा गया दिल में छीन ली मुझसे मौसम ने आज़ादियाँ चराग़ों ने अपने ही घर को जलाया सिसकियों में हों पल रहे जैसे तुझको अपना खुदा बनाया है