जादू नहीं कविता
रचनाकार | कात्यायनी |
---|---|
प्रकाशक | वाणी प्रकाशन, 21-ए,दरियागंज, नई दिल्ली--110002 |
वर्ष | 2002 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 192 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- महानगर में उम्मीदें / कात्यायनी
- कविताएँ,रायल्टी,जूते,मूली-टिंडे, आलोचना वगैरह / कात्यायनी
- सुसंस्कृत,भद्र,ज़िम्मेदार नागरिक होने के बारे में कुछ उद्दंड विचार / कात्यायनी
- लागा चुनरी में दाग... / कात्यायनी
- बनना है भलामानुस / कात्यायनी
- सौ साल कैसे जियें / कात्यायनी
- राजधानी में 'सीज़ द डे, सीज़ द आवर' के नारे पर अमल का एक दिन / कात्यायनी
- चिन्तन चमत्कारी उनका जीवन है जादुई / कात्यायनी
- पों...और चूँ... / कात्यायनी
- बचे हुए शब्दों को लेकर कुछ दु:स्वप्न / कात्यायनी
बारह शीर्षकविहीन कविताएँ
- यह जो थरथराहट-सी है / कात्यायनी
- एक अंधेरे समय में ही / कात्यायनी
- हमने इश्क़ किया / कात्यायनी
- इश्क़ में कभी / कात्यायनी
- इश्क़ में हुआ हो भले धोखा / कात्यायनी
- कल एक ऊँची कुर्सी ने / कात्यायनी
- हैरान हैं कि / कात्यायनी
- एक मामूली ज़िन्दगी में भी रहीं / कात्यायनी
- विगत और आगत प्रदेशों के / कात्यायनी
- 'इतिहास का अन्त' / कात्यायनी
- कविता में कहने की आदत आई / कात्यायनी
- मौत से / कात्यायनी
दस और शीर्षकविहीन कविताएँ
- दो मित्र थे / कात्यायनी
- दो योद्धा थे / कात्यायनी
- दो स्त्रियाँ थीं / कात्यायनी
- दो भाषाएँ थीं / कात्यायनी
- दो सच थे / कात्यायनी
- दो झूठ थे / कात्यायनी
- दो दिन थे / कात्यायनी
- दो जंगल थे / कात्यायनी
- दो कवि थे / कात्यायनी
- दो आलोचक थे / कात्यायनी
- सिलाई के बारें में कुछ बातें / कात्यायनी
- बुनाई के बारे में कुछ बातें / कात्यायनी
- जानने-सीखने-पढ़ने-लिखने के बारे में कुछ बातें / कात्यायनी
- ज़रूरत के बारे में बातें / कात्यायनी
- दीवारों के बारे में / कात्यायनी
- अच्छी और बुरी क़िताबों के बारे में / कात्यायनी
- यथार्थवादी लोगों के बारे में / कात्यायनी
- सबसे सुन्दर आदत के बारे में / कात्यायनी
- तर्क के बारे में / कात्यायनी
- इन्क़लाब के बारे में कुछ बातें/ कात्यायनी
- जीवन के बारे में कुछ बातें / कात्यायनी
- हमन है इश्क़ मस्ताना / कात्यायनी
- कहाँ चलें ख़ुसरो ? / कात्यायनी
- सूली ऊपर सेज / कात्यायनी
- यादें और सपने / कात्यायनी
आठ और शीर्षकविहीन कविताएँ
- चार वर्षों से / कात्यायनी
- मैं चाहती हूँ लिखना / कात्यायनी
- चार वर्षों से चाह रही हूँ भावुक होना / कात्यायनी
- वे हमें हमारे वज़ूद की याद दिलाते हैं / कात्यायनी
- शक के पहरे हल्के पड़े / कात्यायनी
- कई वर्षों से बेहतर है मानसून / कात्यायनी
- दूर दुर्ग के भीतर बसे नगर से / कात्यायनी
- एक अन्धेरी भीड़ / कात्यायनी
- प्रार्थना / कात्यायनी
- सबक़ / कात्यायनी
- बस्ता / कात्यायनी
- एक बग़ावती प्रार्थना / कात्यायनी
- हमला / कात्यायनी
- एक आशंका / कात्यायनी
- मन्दसौर के स्लेट-पैंसिल उद्योग में काम करने वाले बच्चे की कविता / कात्यायनी
- शिवकाशी में पटाखे़ बनाने वाले बच्चे की कविता / कात्यायनी
- माई का बटुला बिका । ख़ुशियाँ मनी / कात्यायनी
- रामधनी / कात्यायनी
- बचपन के साथी से एक मुलाकात / कात्यायनी
- दुख / कात्यायनी
- सुख / कात्यायनी
- आविष्कार / कात्यायनी
- भय-मुक्ति / कात्यायनी
- सिटकिनी / कात्यायनी
- मार्फ़त / कात्यायनी
- कम से कम / कात्यायनी
- अन्तत: स्वीकार / कात्यायनी
- उनका हँसना / कात्यायनी
- कहाँ हैं शब्दकोशों से बहिष्कृत शब्द ? / कात्यायनी
- ...जैसे कि जीवन के बारे में आशावादी होना और मृत्यु के बारे में यथार्थवादी! / कात्यायनी
- यूँ अचानक एक दिन हमारा... / कात्यायनी
- एक झरना, कुछ नौजवान और एक गुमनाम क़ब्र / कात्यायनी
- अब बुद्ध ही बताएँ / कात्यायनी
- ऎसी हो चीज़ें कि... / कात्यायनी
- जादू नहीं कविता. / कात्यायनी
- तलाशी / कात्यायनी
- गोयबल्स 1994 / कात्यायनी
- ...वे अपना मृत्युलेख लिखते हैं / कात्यायनी
- पूरब में प्रतीक्षा / कात्यायनी
- यह समय / कात्यायनी
- अंधेरे एं प्रत्रीक्षारत / कात्यायनी
- युद्ध और कला / कात्यायनी
- तब क्या जीते होते हैं ?/ कात्यायनी
- रोज़मर्रे की एक और बुनियादी ज़रूरत / कात्यायनी
- उनका भय / कात्यायनी
- मुक्तिबोध के लिए / कात्यायनी
- एकदम फ़ांज काफ़्का की आँखों के सामने / कात्यायनी
- किरणों के बीच भूमिगत / कात्यायनी
- लाल परिन्दे नीले आसमान में :1 / कात्यायनी
- लाल परिन्दे नीले आसमान में :2 / कात्यायनी
- लाल परिन्दे नीले आसमान में :3 / कात्यायनी