स्त्री मेरे भीतर
रचनाकार | पवन करण |
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प्रकाशक | राजकमल प्रकाशन, नई दिल्ली |
वर्ष | 2006 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | 104 |
ISBN | 81-267-1140-X |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- उसकी ज़िद-1 / पवन करण
- उसकी ज़िद-2 / पवन करण
- उसकी ज़िद-3 / पवन करण
- उसकी ज़िद-4 / पवन करण
- उसकी ज़िद-5 / पवन करण
- उसकी ज़िद-6 / पवन करण
- बीजने / पवन करण
- एलबम / पवन करण
- बुरका / पवन करण
- गुल्लक / पवन करण
- उसके दिन / पवन करण
- यह आवाज़ मुझे सच्ची नहीं लगती / पवन करण
- उसका दु:ख / पवन करण
- किस तरह मिलूँ तुम्हें / पवन करण
- उस अहसास के बारे में / पवन करण
- बूढ़ी बेरिया / पवन करण
- जिसे तुम मेरा पिता कहती हो/ पवन करण
- एक ख़ूबसूरत बेटी का पिता / पवन करण
- मौसेरी बहनें / पवन करण
- साँझी / पवन करण
- बहन का प्रेमी : पाँच कविताएँ / पवन करण
- मैं उससे अब भी प्रेम नहीं करता / पवन करण
- पुरुष के बिना रह भी सकती हो तुम / पवन करण
- ये भी कोई भूलनेवाला दिन है / पवन करण
- हम पति अनाकर्षक पत्नियों के / पवन करण
- टायपिस्ट / पवन करण
- आपत्तियों के बीच प्रेम / पवन करण
- तुम जैसी चाहते हो वैसी नहीं हूँ मैं / पवन करण
- सुननी भी पड़ती है उसकी / पवन करण
- उसे कहना ही पड़े तो / पवन करण
- मगर यह तो बताओ / पवन करण
- स्तन / पवन करण
- संख्या / पवन करण
- अबोला / पवन करण
- स्पर्श जो किसी और को सौंपना चाहती थी वह / पवन करण
- एक स्त्री मेरे भीतर / पवन करण
- दरअसल उसे समझना ख़ुद को समझना है / पवन करण
- प्यार में डूबी हुई माँ / पवन करण
- इस जबरन लिख दिए गए को ही / पवन करण
- स्त्री -सुबोधिनी / पवन करण
- तुम जिसे प्रेम कर रही हो इन दिनों / पवन करण
- पुरुष / पवन करण