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विकास शर्मा 'राज़'
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विकास शर्मा 'राज़'
ग़ज़ल
- अपने हालात में बदलाव नहीं चाहता मैं / विकास शर्मा 'राज़'
- दिल-खंडर में खड़े हुए हैं हम / विकास शर्मा 'राज़'
- फिर वही शब वही सितारा है / विकास शर्मा 'राज़'
- रोज़ ये ख़्वाब डराता है मुझे / विकास शर्मा 'राज़'
- हवा बहने लगी मुझमें / विकास शर्मा 'राज़'
- मंज़िलों से भी आगे निकलता हुआ / विकास शर्मा 'राज़'
- हाथ पर हाथ रख के क्यों बैठूँ / विकास शर्मा 'राज़'
- बस उतना ही पढ़ा मैंने कि जो निसाब में था / विकास शर्मा 'राज़'
- बारिश में अक्सर ऐसा हो जाता है / विकास शर्मा 'राज़'
- मिरा ही लहू है गुलो-ख़ार में / विकास शर्मा 'राज़'
- बिन तुम्हारे कितना बेतरतीब-सा रहता हूँ मैं / विकास शर्मा 'राज़'
- फ़सीले-शब पे तारों ने लिखा क्या / विकास शर्मा 'राज़'
- ज़िन्दगी की हँसी उड़ाती हुई / विकास शर्मा 'राज़'
- सबके आगे नहीं बिखरना है / विकास शर्मा 'राज़'
- दाग़ होने लगे ज़ाहिर मेरे / विकास शर्मा 'राज़'
- ग़मे-फ़िराक़ ख़िज़ाँ में मिले तो अच्छा हो / विकास शर्मा 'राज़'
- अज़ल से बंद दरवाज़ा खुला तो / विकास शर्मा 'राज़'
- उमीद, आस, अक़ीदा, दुआ, ख़ुदा सब कुछ / विकास शर्मा 'राज़'