भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
ऐतरेयोपनिषद / मृदुल कीर्ति
Kavita Kosh से
सम्यक (चर्चा | योगदान) द्वारा परिवर्तित 20:03, 5 दिसम्बर 2008 का अवतरण (नया पृष्ठ: {{KKGlobal}} {{KKRachna |रचनाकार=मृदुल कीर्ति }} Category:लम्बी रचना Category:उपनिषद [[Category:...)
ॐ श्री परमात्मने नमः
शांति पाठ
हे सच्चिदानंद प्रभो ! मन वचन मेरे विशुद्ध हों,
शुचि वेद विषयक ज्ञान से, मन वाणी मेरे प्रबुद्ध हों।
दिन रात वेदों का अध्ययन , वाणी में ऋत सैट अमिय हो,
रक्षित हों श्री आचार्य मम , हे ब्रह्म हम सब अभय हों॥
- प्रथम अध्याय
- द्वितीय अध्याय