भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"परमानंददास" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Sharda suman (चर्चा | योगदान) |
Lalit Kumar (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
|अंग्रेज़ी नाम=paramanand das, | |अंग्रेज़ी नाम=paramanand das, | ||
}} | }} | ||
+ | {{KKCatBhaktiKaaleenRachnakaar}} | ||
{{KKCatBrajBhashaRachnakaar}} | {{KKCatBrajBhashaRachnakaar}} | ||
====संग्रह==== | ====संग्रह==== | ||
पंक्ति 57: | पंक्ति 58: | ||
* [[गावत गोपी मधु मृदु बानी / परमानंददास]] | * [[गावत गोपी मधु मृदु बानी / परमानंददास]] | ||
− | |||
− | |||
{{KKAshtachhaap}} | {{KKAshtachhaap}} |
15:41, 20 जनवरी 2016 का अवतरण
परमानंददास
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | 1493 |
---|---|
निधन | 1583 |
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
परमानंद सागर | |
विविध | |
रीतिकाल के कवि | |
जीवन परिचय | |
परमानंददास / परिचय |
संग्रह
- परमानंद सागर / परमानंददास
- परमदास पद / परमानंददास
- दान लीला / परमानंददास
- ध्रुव चरित्र / परमानंददास
प्रतिनिधि रचनाएँ
- बृंदावन क्यों न भए हम मोर / परमानंददास
- कौन रसिक है इन बातन कौ / परमानंददास
- ब्रज के बिरही लोग बिचारे / परमानंददास
- मैया मोहिं ऐसी दुलहिन भावै / परमानंददास
- कहा करौ बैकुंठहि जाय / परमानंददास
- राधे जू हारावलि टूटी / परमानंददास
- लाल कछु कीजे भोजन तिल तिल कारी हों वारी हों / परमानंददास
- पतंग की गुडी उडावन लागे व्रजबाल / परमानंददास
- यह मांगो गोपीजन वल्लभ / परमानंददास
- आज दधि मीठो मदन गोपाल / परमानंददास
- माई मीठे हरि जू के बोलना / परमानंददास
- मंगल माधो नाम उचार / परमानंददास
- यह प्रसाद हों पाऊं श्री यमुना जी / परमानंददास
- श्री जमुना जी दीन जानि मोहिं दीजे / परमानंददास
- नन्द बधाई दीजे हो ग्वालन / परमानंददास
- चैत्र मास संवत्सर / परमानंददास
- प्रथम गोचारण चले कन्हाई / परमानंददास
- कापर ढोटा नयन नचावत / परमानंददास
- आज दधि कंचन मोल भई / परमानंददास
- रंचक चाखन देरी दह्यो / परमानंददास
- यह धन धर्म ही तें पायो / परमानंददास
- पद्म धर्यो जन ताप निवारण / परमानंददास
- आज बधाई को दिन नीको / परमानंददास
- रक्षा बंधन को दिन आयो / परमानंददास
- राखी बांधत जसोदा मैया / परमानंददास
- जागो मेरे लाल जगत उजियारे / परमानंददास
- गोपी प्रेम की ध्वजा / परमानंददास
- तिहारे चरन कमल को माहत्म्य / परमानंददास
- डोल माई झूलत हैं ब्रजनाथ / परमानंददास
- श्री यमुने सुखकारनी प्राण प्रतिके / परमानंददास
- श्री यमुने पिय को बस तुमजु कीने / परमानंददास
- श्री यमुने के साथ अब फ़िरत है नाथ / परमानंददास
- श्री यमुने की आस अब करत है दास / परमानंददास
- आज ललन की होत सगाई / परमानंददास
- कुंज भवन में मंगलचार / परमानंददास
- गावत गोपी मधु मृदु बानी / परमानंददास
अष्टछाप | ||
महाप्रभु श्री वल्लभाचार्य जी एवं उनके पुत्र श्री विट्ठलनाथ जी द्वारा संस्थापित 8 भक्तिकालीन कवि, जिन्होंने अपने विभिन्न पदों एवं कीर्तनों के माध्यम से भगवान श्री कृष्ण की विभिन्न लीलाओं का गुणगान किया। और अधिक जानें... | ||
अष्टछाप के कवि: सूरदास । नंददास । परमानंददास । कुम्भनदास । चतुर्भुजदास । छीतस्वामी । गोविन्दस्वामी |