भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"कविता सिंह" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) |
Rahul Shivay (चर्चा | योगदान) (→कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ) |
||
पंक्ति 22: | पंक्ति 22: | ||
* [[मेरे चेहरे पर मुहब्बत का असर छोड़ गया / कविता सिंह]] | * [[मेरे चेहरे पर मुहब्बत का असर छोड़ गया / कविता सिंह]] | ||
* [[जागती आँखों से शब को हम सहर करते रहे / कविता सिंह]] | * [[जागती आँखों से शब को हम सहर करते रहे / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[बुझने दो शम' अ मुहब्बत की जलाते क्यूँ हो / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[ख़ामोश-सी फ़िज़ा का ये मंज़र उदास है / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[बह्रे ग़म और ज़िन्दगानी है / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[सुलगते ही रहो दिल की अगन में / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[तमाम उम्र रहा दर्द की रिदा ओढ़े / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[जो दर्दो ग़म न हो तो ऐसी आशिक़ी क्या है / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[पूछ मत मैंने जुदाई में तिरी क्या लिख्खा / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[बुझने दो शम' अ मुहब्बत की जलाते क्यूँ हो / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[रहेगी ज़िन्दगी में आख़िरश ये तीरगी कब तक / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[वस्ल के ख़्वाब सज़ा कर के सहर जाती है / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[ख्यालों में वल्लाह छाया हुआ है / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[तू रहे लाख अब हिजाबों में / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[वस्फ़ इक बारगी कहाँ मिलता / कविता सिंह]] | ||
+ | * [[दर्द के कासिद से भी रिश्ता निभाया किस तरह / कविता सिंह]] |
18:09, 25 दिसम्बर 2017 का अवतरण
कविता सिंह
© कॉपीराइट: कविता सिंह। कविता कोश के पास संकलन की अनुमति है। इन रचनाओं का प्रयोग कविता सिंह की अनुमति के बिना कहीं नहीं किया जा सकता।
जन्म | 27 अगस्त 1965 |
---|---|
जन्म स्थान | |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
कविता सिंह / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- वस्ल के ख़्वाब सज़ा कर के सहर जाती है / कविता सिंह
- आँखें तरस रहीं मेरी दीदारे-यार को / कविता सिंह
- किसको रिश्ता यहाँ निभाना है / कविता सिंह
- मेरे चेहरे पर मुहब्बत का असर छोड़ गया / कविता सिंह
- जागती आँखों से शब को हम सहर करते रहे / कविता सिंह
- बुझने दो शम' अ मुहब्बत की जलाते क्यूँ हो / कविता सिंह
- ख़ामोश-सी फ़िज़ा का ये मंज़र उदास है / कविता सिंह
- बह्रे ग़म और ज़िन्दगानी है / कविता सिंह
- सुलगते ही रहो दिल की अगन में / कविता सिंह
- तमाम उम्र रहा दर्द की रिदा ओढ़े / कविता सिंह
- जो दर्दो ग़म न हो तो ऐसी आशिक़ी क्या है / कविता सिंह
- पूछ मत मैंने जुदाई में तिरी क्या लिख्खा / कविता सिंह
- बुझने दो शम' अ मुहब्बत की जलाते क्यूँ हो / कविता सिंह
- रहेगी ज़िन्दगी में आख़िरश ये तीरगी कब तक / कविता सिंह
- वस्ल के ख़्वाब सज़ा कर के सहर जाती है / कविता सिंह
- ख्यालों में वल्लाह छाया हुआ है / कविता सिंह
- तू रहे लाख अब हिजाबों में / कविता सिंह
- वस्फ़ इक बारगी कहाँ मिलता / कविता सिंह
- दर्द के कासिद से भी रिश्ता निभाया किस तरह / कविता सिंह