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{{KKRachnaKKPustak|चित्र=|नाम=बची एक लोहार की|रचनाकार=[[राम सेंगर]]|प्रकाशक=|वर्ष=|भाषा=हिन्दी|विषय=कविता|शैली=नवगीत|पृष्ठ=|ISBN=|संग्रहविविध=
}}
{{KKCatKavitaKKCatNavgeet}}<poem>====इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ====बढ़े फासले अपरिचयों के और भी,साझेदारी कैसी भाव-विचार की।रिश्ते होतेनए अर्थ को खोलतेसंग-साथ के सहकारी उत्ताप सेउड़ीं परस्परता की मानों धज्जियाँअविश्वास के * [[इसी घिनौने पाप सेक़वायद में / राम सेंगर]]जोड़-तोड़ * [[कहन की होड़ों मेंजलेबी / राम सेंगर]]धुँधुआ गईपारदर्शिता, आपस के व्यवहार की।गवेषणा * [[टाँग हाथ मेंआई / राम सेंगर]]सच * [[धुन के पहलू दब गएरँग हमारे / राम सेंगर]]जो उभरा सो, सच से कोसों दूर था* [[परेशान / राम सेंगर]]बात उठी ही नहीं* [[प्रश्न-प्रतिप्रश्न / राम सेंगर]]निकष के दोष * [[बची एक लोहार की(नवगीत) / राम सेंगर]]पड़तालों का मुद्दा उठा जरूर थाचोर द्वार सेछल, नीयत में आ घुसाधरी रही अधलिखीपटकथा प्यार की।समरसता मेंछिपा सिला तदवीर काबने महास्वर, कलकंठों * [[बवालात के राग सेदिन / राम सेंगर]]पटरी पर आते* [[भड़वे हुए भदन्त / राम सेंगर]]दिन अच्छे एक दिनतमस काटते, अपनी * [[मिलजुल आग से/ राम सेंगर]]हुआ न ऐसा कुछ* [[मुसलसल बदतमीज़ी / राम सेंगर]]सुनार की सौ हुईं* [[मेज़ का व्यवहार / राम सेंगर]]विपर्यास पर, बची एक लोहार की।* [[यही सच है / राम सेंगर]]<* [[शब्दयोजना का सच /poem>राम सेंगर]]