भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"गौतम राजऋषि" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) |
प्रकाश बादल (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 45: | पंक्ति 45: | ||
* [[वो कहीं पे और ही तल्लीन तो नही / गौतम राजरिशी]] | * [[वो कहीं पे और ही तल्लीन तो नही / गौतम राजरिशी]] | ||
* [[बहर में बांध ले काफिया रख / गौतम राजरिशी]] | * [[बहर में बांध ले काफिया रख / गौतम राजरिशी]] | ||
+ | * [[मुख न खोलो गर / गौतम राजरिशी]] | ||
</sort> | </sort> |
11:45, 19 सितम्बर 2009 का अवतरण
गौतम राजरिशी
www.kavitakosh.org/grajrishi
www.kavitakosh.org/grajrishi
जन्म | 10 मार्च 1975 |
---|---|
जन्म स्थान | सहरसा, बिहार, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
भारतीय सेना में पदाधिकारी हैं। | |
जीवन परिचय | |
गौतम राजरिशी / परिचय | |
कविता कोश पता | |
www.kavitakosh.org/grajrishi |
<sort order="asc" class="ul">
- हवा जब किसी की कहानी कहे है / गौतम राजरिशी
- ख़बर मिली है जब से ये कि उनको हमसे प्यार है / गौतम राजरिशी
- है मुस्कुराता फूल कैसे तितलियों से पूछ लो / गौतम राजरिशी
- तू जो मुझसे जुदा नहीं होता / गौतम राजरिशी
- देख पंछी जा रहे अपने बसेरों में / गौतम राजरिशी
- हरी है ये ज़मीं हमसे कि हम तो इश्क बोते हैं / गौतम राजरिशी
- एक मुद्दत से हुए हैं वो हमारे यूँ तो / गौतम राजरिशी
- अब के ऐसा दौर बना है / गौतम राजरिशी
- वो जब अपनी ख़बर दे है / गौतम राजरिशी
- उठेंगी चिलमनें फिर हम यहाँ देखेंगे किस-किस की / गौतम राजरिशी
- तू जब से अल्लादिन हुआ / गौतम राजरिशी
- खोल ना गर मुख जरा तू, सब तेरा हो जाएगा / गौतम राजरिशी
- अभी जो कोंपलें फूटी हैं छोटे-छोटे बीजों पर / गौतम राजरिशी
- राह में चांद उस रोज़ चलता मिला / गौतम राजरिशी
- ये कद-काठी के मेले में लबादा क्या करे / गौतम राजरिशी
- चीरती-सी जाती है अब ये घर की ख़ामोशी / गौतम राजरिशी
- ग़ौर कर / गौतम राजरिशी
- सीखो आँखें पढ़ना साहिब / गौतम राजरिशी
- ये तेरा यूं मचलना क्या / गौतम राजरिशी
- पूछे तो कोई ये जाकर / गौतम राजरिशी
- जरा धूप फैली जो / गौतम राजरिशी
- निगाहों से ज़रा सा / गौतम राजरिशी
- कितने हाथों में यहां / गौतम राजरिशी
- उनका हरेक बयान हुआ / गौतम राजरिशी
- दूर क्षितिज पर सूरज चमका,सुब्ह खड़ी है आने को / गौतम राजरिशी
- जब से मुझको तूने छुआ है / गौतम राजरिशी
- सीखो आंखें पढ-अना साहिब / गौतम राजरिशी
- परों का जब कभी / गौतम राजरिशी
- वो कहीं पे और ही तल्लीन तो नही / गौतम राजरिशी
- बहर में बांध ले काफिया रख / गौतम राजरिशी
- मुख न खोलो गर / गौतम राजरिशी
</sort>