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* [[माटी की कच्ची गागर को क्या खोना / बशीर बद्र]] | * [[माटी की कच्ची गागर को क्या खोना / बशीर बद्र]] |
15:41, 1 अक्टूबर 2009 का अवतरण
उजाले अपनी यादों के
रचनाकार | बशीर बद्र |
---|---|
प्रकाशक | वाणी प्रकाशन |
वर्ष | 2003 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 115 |
ISBN | |
विविध | बशीर बद्र जी की कुछ चुनिंदा ग़ज़लों का यह ग़ज़ल संग्रह विजय वाते जी द्वारा संपादित है |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- एक चेहरा साथ साथ रहा जो मिला नहीं / बशीर बद्र
- लोग टूट जाते हैं / बशीर बद्र
- जहाँ पेड़ पर चार दाने लगे / बशीर बद्र
- यूँ ही बेसबब न फिरा करो / बशीर बद्र
- कभी यूँ भी आ मेरी आँख में / बशीर बद्र
- मोहब्बतों में दिखावे की दोस्ती न मिला / बशीर बद्र
- सर झुकओगे तो पत्थर / बशीर बद्र
- न जी भर के देखा न कुछ बात की / बशीर बद्र
- सियाहियों के बने हर्फ़ हर्फ़ धोते हैं / बशीर बद्र
- हर जन्म में उसी की चाहत थे / बशीर बद्र
- रात इक ख्वाब हमने देखा है / बशीर बद्र
- अगर तलाश करूँ कोई मिल ही जायेगा / बशीर बद्र
- कोई लश्कर है कि बढ़ते हुए गम / बशीर बद्र
- चमक रही है परों में उड़ान की खुश्बू / बशीर बद्र
- वो चांदनी का बदन ख़ुशबुओं का साया है / बशीर बद्र
- अच्छा तुम्हारे शहर का दस्तूर हो गया / बशीर बद्र
- अब किसे चाहें किसे ढूँढा करें / बशीर बद्र
- कोई चिराग़ नहीं है मगर उजाला है / बशीर बद्र
- उदासी आसमाँ है दिल मेरा / बशीर बद्र
- उदासी का ये पत्थर आँसुओं से / बशीर बद्र
- दालानों की धूप छतों की शाम कहाँ / बशीर बद्र
- होंठों पे मुहब्बत के फ़साने नहीं आते / बशीर बद्र
- सर से चादर बदन से कबा ले गई / बशीर बद्र
- प्यार की नयी दस्तक / बशीर बद्र
- उनको आईना बनाया / बशीर बद्र
- उदास आँखों से आँसू नहीं निकलते हैं / बशीर बद्र
- कोई फूल धूप की पत्तियों में / बशीर बद्र
- सोए कहाँ थे आँखों ने तकिये भिगोये थे / बशीर बद्र
- सर से पा तक वो गुलाबों का शजर / बशीर बद्र
- कौन आया रास्ते आईनाख़ाने हो गये / बशीर बद्र
- अज़्मतें सब तिरी ख़ुदाई की / बशीर बद्र
- मैं ग़ज़ल कहूँ मैं ग़ज़ल पढूँ / बशीर बद्र
- याद किसी की चाँदनी बन कर / बशीर बद्र
- माटी की कच्ची गागर को क्या खोना / बशीर बद्र
- मेरे सीने पर सर रक्खे हुए / बशीर बद्र
- आँखों में रहा दिल में उतरकर नहीं देखा / बशीर बद्र
- सन्नाटा क्या चुपके-चुपके कहता है / बशीर बद्र
- किसे खबर थी तुझे इस तरह सजाऊंगा / बशीर बद्र
- शबनम हूँ सुर्ख़ फूल पे बिखरा हुआ हूँ मैं / बशीर बद्र
- सुनो पानी में यह किसकी सदा है / बशीर बद्र
- तारों के चिलमनों से कोई झांकता भी हो / बशीर बद्र
- आँसुओं से धुली ख़ुशी की तरह / बशीर बद्र
- नज़र से गुफ़्तगू ख़ामोश लब तुम्हारी तरह / बशीर बद्र