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+ | * [[सोचो तो औसान नदारद / रोशन लाल 'रौशन']] | ||
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20:58, 21 अगस्त 2010 का अवतरण
समय संवाद करना चाहता है
रचनाकार | रोशन लाल 'रौशन' |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | २०१० |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़लें |
विधा | महाकाव्य |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- कोई बुश है कोई ओबामा है / रोशन लाल 'रौशन'
- एक अंधी हवस का शिकार आदमी / रोशन लाल 'रौशन'
- नहीं जानता था कि यूँ घात होगी / रोशन लाल 'रौशन'
- अब जलती है अब जलती है / रोशन लाल 'रौशन'
- सब का यही बयान था / रोशन लाल 'रौशन'
- हवसकारों की बस्ती का हर इक मंजर निराला है / रोशन लाल 'रौशन'
- रूप का सोना न धन की प्यास है / रोशन लाल 'रौशन'
- हर कदम आजमाये गये / रोशन लाल 'रौशन'
- शोषकों के बदन दबाते हैं / रोशन लाल 'रौशन'
- सोचो तो औसान नदारद / रोशन लाल 'रौशन'
- शब्द का भरम टूटे / रोशन लाल 'रौशन'