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"कृष्ण कुमार ‘नाज़’" के अवतरणों में अंतर
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− | *[[शाम का वक्त है शाखों को हिलाता क्यों है/ कृष्ण कुमार ‘नाज़’]] | + | * [[तरफ़दारी नहीं करते कभी हम उन मकानों की / कृष्ण कुमार ‘नाज़’]] |
− | *[[तरफ़दारी नहीं करते कभी हम उन मकानों की/ कृष्ण कुमार ‘नाज़’]] | + | * [[बस गया हो ज़हन में जैसे कोई डर आजकल / कृष्ण कुमार ‘नाज़’]] |
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कृष्ण कुमार ‘नाज़’
जन्म | 10 जनवरी 1961 |
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उपनाम | नाज़ |
जन्म स्थान | ग्राम कूरी रवाना, थाना छजलैट, जनपद मुरादाबाद, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
इक्कीसवीं सदी के लिए (ग़ज़ल-संग्रह, 1998), गुनगुनी धूप (ग़ज़ल-संग्रह, 2002), मन की सतह पर (गीत-संग्रह, 2003), जीवन के परिदृश्य (नाटक-संग्रह 2010) | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
कृष्ण कुमार ‘नाज़’ / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- वफ़ा भी, प्यार भी, नफरत भी, बदगुमानी भी / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- जो ख़ुद उदास हो, वो क्या ख़ुशी लुटाएगा / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- इक मुक़द्दर है कि अपना क़ौल बिसराता नहीं / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- बाद तुम्हारे सब अपनों के मनमाने व्यवहार हुए / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- जीत किसके लिए, हार किसके लिए / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- चलेगी जब तेरी यादों की पुरवाई तो क्या होगा / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- एहसास की शिद्दत ही सिमट जाए तो अच्छा / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- खींच लाता है समय उस मोड़ पर इंसान को / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- क्या हुआ तुमको अगर चेहरे बदलना आ गया / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- राहत दो या उलझन दो / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- लगा रक्खी है उसने भीड़ मज़हब की, सियासत की / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- बिखर चुका है मगर ज़िंदगी की चाह में है / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- झूठ है,छल है,कपट है,जंग है,तकरार है / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- मैं तेरा अक्स हूँ तुझसे कभी जुदा ही नहीं / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- शाम का वक्त है शाखों को हिलाता क्यों है / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- तरफ़दारी नहीं करते कभी हम उन मकानों की / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- बस गया हो ज़हन में जैसे कोई डर आजकल / कृष्ण कुमार ‘नाज़’
- चाहत को आँसुओं के भँवर से बचा लिया / कृष्ण कुमार ‘नाज़’