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+ | * [[तेरी आवाज़ सुनूँगा मैं गजर की सूरत / मेहर गेरा]] | ||
+ | * [[हरेक सम्त ही पेड़ों पे थे हरे पत्ते / मेहर गेरा]] | ||
+ | * [[खुली हवा में ज़रा चंद गाम चल तो सही / मेहर गेरा]] | ||
+ | * [[दिल में फिर आग लगाती हैं चटकती कलियाँ / मेहर गेरा]] | ||
+ | * [[दिन ढलते ही जब हर छत से हर आंगन से चले उजाले / मेहर गेरा]] | ||
+ | * [[बिछुड़ गया जो इसी शहर में कभी मुझसे / मेहर गेरा]] |
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मेहर गेरा
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जन्म | 01 मई 1933 |
---|---|
निधन | जालंधर |
जन्म स्थान | पंजाब |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
पैकार, लम्हों का लम्स | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
मेहर गेरा / परिचय |
रचना संग्रह
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- कितने पैकर ले गया कितने ही मंज़र ले गया / मेहर गेरा
- इक अक्से-दिल-पज़ीर तहे-आब देखना / मेहर गेरा
- जाना पहचाना हुआ मंज़र नज़र आने लगा / मेहर गेरा
- कभी तो फूल की रुत है कभी खिजां हूँ मैं / मेहर गेरा
- बदलती रुत का सितम सब पे एक जैसा था / मेहर गेरा
- मैं सुस्त गाम हूँ रस्ता मगर ज़ियादा नहीं / मेहर गेरा
- जिधर हवा हो उधर ही वो जा निकलता है / मेहर गेरा
- मैं हूँ बिखरा हुआ दीवार कहीं दर हूँ मैं / मेहर गेरा
- दूर तक मायूसियों की रेत है बिखरी हुई / मेहर गेरा
- उभर ही आता है अक्सर नये ग़मों की तरह / मेहर गेरा
- जी चाहता है अपना मुक़द्दर उतार दूँ / मेहर गेरा
- तेरी आवाज़ सुनूँगा मैं गजर की सूरत / मेहर गेरा
- हरेक सम्त ही पेड़ों पे थे हरे पत्ते / मेहर गेरा
- खुली हवा में ज़रा चंद गाम चल तो सही / मेहर गेरा
- दिल में फिर आग लगाती हैं चटकती कलियाँ / मेहर गेरा
- दिन ढलते ही जब हर छत से हर आंगन से चले उजाले / मेहर गेरा
- बिछुड़ गया जो इसी शहर में कभी मुझसे / मेहर गेरा