भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"सतीश शुक्ला 'रक़ीब'" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
SATISH SHUKLA (चर्चा | योगदान) |
SATISH SHUKLA (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 14: | पंक्ति 14: | ||
{{KKShayar}} | {{KKShayar}} | ||
<sort order="asc" class="ul"> | <sort order="asc" class="ul"> | ||
+ | * [[छोड़ा था जहाँ मुझको उसी जा पे खड़ा हूँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब']] | ||
* [[होता नहीं है प्यार भी अब प्यार की तरह / सतीश शुक्ला 'रक़ीब']] | * [[होता नहीं है प्यार भी अब प्यार की तरह / सतीश शुक्ला 'रक़ीब']] | ||
* [[अब हमें टाटा का तोहफ़ा, ख़ुशनुमा मिल जाएगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब']] | * [[अब हमें टाटा का तोहफ़ा, ख़ुशनुमा मिल जाएगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब']] |
21:24, 3 जनवरी 2011 का अवतरण
सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
जन्म | 04 अप्रैल 1961 |
---|---|
उपनाम | रक़ीब लखनवी |
जन्म स्थान | लखनऊ, उत्तर प्रदेश, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
मुंबई की सामजिक एवं साहित्यिक संस्था आशीर्वाद द्वारा विशेष सम्मान मई 2008 में । | |
जीवन परिचय | |
सतीश शुक्ला 'रक़ीब' / परिचय |
<sort order="asc" class="ul">
- छोड़ा था जहाँ मुझको उसी जा पे खड़ा हूँ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- होता नहीं है प्यार भी अब प्यार की तरह / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- अब हमें टाटा का तोहफ़ा, ख़ुशनुमा मिल जाएगा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ख़ामोश रहेंगी पीपल पर, बैठी हुई ये चिड़ियाँ कब तक / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- नदी किनारे पानी में लड़की एक नहाती है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- परेशाँ है मेरा दिल, मेरी आँखें भी हैं नम कुछ-कुछ / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- ज़हनो दिल में हर इक के उतर जाइए / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- शहीदे वतन का नहीं कोई सानी / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- गुज़री है रात कैसे सबसे कहेंगी आँखें / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- हवा के दोश पे किस गुलबदन की ख़ुशबू है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- दिलों में फिर वो पहली सी, मोहब्बत हो अगर पैदा / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- चाहते हैं अब भुला दें उसको अपने दिल से हम / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आँखों ने कह दिया जो कभी कह न पाए लब / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- खाक़ में मिल गए हम अगर देखिए / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- सुब्ह नौ की है तू रौशनी भी सनम / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- इनकार मोहब्बत का करेगा तू कहाँ तक / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- आज माहौल दुनिया का खूंरेज़ है / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
- अश्के ग़म से अपना दामन तर-बतर होने के बाद / सतीश शुक्ला 'रक़ीब'
</sort>