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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
- ठंडे से केले के नीचे नींद बड़ी आवे री / हरियाणवी
- चाकी बड़ी दुखदाई बलम मेरे झो के तवाई / हरियाणवी
- चाकी पै धर्या पीसणा चाकी का भार्या पाट / हरियाणवी
- ऊठ बहू मेरी पीस ले / हरियाणवी
- तमतै चाले नौकरी म्हारा कौन हवाल / हरियाणवी
- गीले गीले जौ का पीसना री / हरियाणवी
- सासरे के चा में छोरी बालदी बी कोन्या ए / हरियाणवी
- मैं तो माड़ी हो गई राम / हरियाणवी
- पाणी पिला दे भरतार / हरियाणवी
- हो रबझब की गैल डिगर गया / हरियाणवी