भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"ज्ञान प्रकाश विवेक" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
पंक्ति 20: | पंक्ति 20: | ||
* [[टूटे हुए पर की बात / ज्ञान प्रकाश विवेक ]] | * [[टूटे हुए पर की बात / ज्ञान प्रकाश विवेक ]] | ||
* [[दिल्ली शिकागो बन रही है / ज्ञान प्रकाश विवेक ]] | * [[दिल्ली शिकागो बन रही है / ज्ञान प्रकाश विवेक ]] | ||
− | * [[ / ज्ञान प्रकाश विवेक ]] | + | * [[तमाम घर को बयाबाँ बना के रखता था / ज्ञान प्रकाश विवेक ]] |
− | * [[ / ज्ञान प्रकाश विवेक ]] | + | * [[तेरा शो-केस भी क्या खूब ठसक रखता था / ज्ञान प्रकाश विवेक ]] |
* [[उसने इतना तो सलीका रक्खा / ज्ञान प्रकाश विवेक]] | * [[उसने इतना तो सलीका रक्खा / ज्ञान प्रकाश विवेक]] | ||
* [[सब पुरानी निशानियाँ गुम-सुम / ज्ञान प्रकाश विवेक]] | * [[सब पुरानी निशानियाँ गुम-सुम / ज्ञान प्रकाश विवेक]] | ||
पंक्ति 29: | पंक्ति 29: | ||
* [[मैं अपने हौसले को यकीनन बचाऊँगा / ज्ञान प्रकाश विवेक]] | * [[मैं अपने हौसले को यकीनन बचाऊँगा / ज्ञान प्रकाश विवेक]] | ||
* [[हवा से छोड़ अदावत कि दोस्ती का सोच / ज्ञान प्रकाश विवेक]] | * [[हवा से छोड़ अदावत कि दोस्ती का सोच / ज्ञान प्रकाश विवेक]] | ||
+ | * [[बुरे दिनों का आना-जाना लगा रहेगा / ज्ञान प्रकाश विवेक]] |
19:39, 11 अक्टूबर 2008 का अवतरण
ज्ञान प्रकाश विवेक
क्या आपके पास चित्र उपलब्ध है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
जन्म | 30 जनवरी 1949 |
---|---|
जन्म स्थान | बहादुरगढ़, हरियाणा, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
प्यास की ख़ुश्बू (1980), धूप के हस्ताक्षर (1984) | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
ज्ञान प्रकाश विवेक / परिचय |
- प्यास की ख़ुशबू / ज्ञान प्रकाश विवेक (ग़ज़ल संग्रह)
- धूप के हस्ताक्षर / ज्ञान प्रकाश विवेक (ग़ज़ल संग्रह)
- लड़ाई अब हमारी ठन रही है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- हाथ पर आसमान / ज्ञान प्रकाश विवेक
- कर्फ़्यू का मारा शहर / ज्ञान प्रकाश विवेक
- ख़ुद से मुँह छुपाके / ज्ञान प्रकाश विवेक
- अँधेरे की पुरानी चिट्ठियाँ / ज्ञान प्रकाश विवेक
- टूटे हुए पर की बात / ज्ञान प्रकाश विवेक
- दिल्ली शिकागो बन रही है / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तमाम घर को बयाबाँ बना के रखता था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- तेरा शो-केस भी क्या खूब ठसक रखता था / ज्ञान प्रकाश विवेक
- उसने इतना तो सलीका रक्खा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- सब पुरानी निशानियाँ गुम-सुम / ज्ञान प्रकाश विवेक
- बात करता है इतने अहंकार की / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मैं शीशे की तरह गर टूट जाता / ज्ञान प्रकाश विवेक
- अगर मैं धूप के सौदागरों से डर जाता / ज्ञान प्रकाश विवेक
- मैं अपने हौसले को यकीनन बचाऊँगा / ज्ञान प्रकाश विवेक
- हवा से छोड़ अदावत कि दोस्ती का सोच / ज्ञान प्रकाश विवेक
- बुरे दिनों का आना-जाना लगा रहेगा / ज्ञान प्रकाश विवेक