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* [[मंगलाचरण / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]
'''श्री उद्धव द्वारा मथुरा से ब्रज गमन के कवित्त'''
* [[१-न्हात जमुना मैं जलजात एक दैख्यौ जात / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[२-आए भुजबंध दये ऊधव सखा कैं कंध / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[३-देखि दूरि ही तैं दौरि पौरि लगि भेंटि ल्याइ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[४-विरह-बिथा की कथा अकथ अथाह महा / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[५-नंद और जसोमति के प्रेम पगे पालन की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[६-चलत न चारयौ भाँति कोटिनि बिचारयौ तऊ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[७-रूप-रस पीवत अघात ना हुते जो तब / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[८-गोकुल की गैल-गैल गोप ग्वालिन कौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[९-मोर के पखौवनि को मुकुट छबीलौ छोरि / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[१०-कहत गुपाल माल मंजुमनि पुंजनि की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[११-राधा मुख-मंजुल सुधाकर के ध्यान ही सौं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[१२-सील सनी सुरुचि सु बात चलै पूरब की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[१३-प्रेम-भरी कातरता कान्ह की प्रगट होत / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[१४-हेत खेत माँहि खोदि खाईं सुद्ध स्वारथ की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[१५-पाँचौ तत्व माहिं एक तत्व ही की सत्ता सत्य / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[१६-दिपत दिवाकर कौं दीपक दिखावै कहा / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[१७-हा! हा! इन्हैं रोकन कौं टोक न लगावौ तुम / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[१८-प्रेम-नेम निफल निवारि उर-अंतर तैं / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[१९-बात चलैं जिनकी उड़ात धीर धूरि भयौ / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[२०-ऊधव कैं चलत गुपाल उर माहिं चल / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]
'''श्री उद्धव के मथुरा से ब्रज के मार्ग के कवित्त'''
* [[२१-आइ ब्रज-पथ रथ ऊधौ कौं चढ़ाइ कान्ह / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[२२-लै कै उपदेश-औ-संदेस पन ऊधौ चले / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[२३-हरैं-हरैं ज्ञान के गुमान घटि जानि लगे / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]
'''श्री उद्धव के ब्रज में पहुँचने के समय के कवित्त'''
* [[२४-दुख-सुख ग्रीषम और सिसिर न ब्यापै जिन्हें / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[२५-धाईं धाम-धाम तैं अवाई सुनि ऊधव की / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[२६- / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[२७- / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[२८- / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[२९- / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]* [[३०- / जगन्नाथदास ’रत्नाकर’]]