गेरू की लिपियाँ
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रचनाकार | अमरनाथ श्रीवास्तव |
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प्रकाशक | हिन्दुस्तानी एकेडेमी, इलाहाबाद |
वर्ष | 1990 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता |
विधा | नवगीत |
पृष्ठ | 126 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- गेरू की लिपियाँ (नवगीत) / अमरनाथ श्रीवास्तव
- गुर्राहट जंगल की / अमरनाथ श्रीवास्तव
- इस हिरण्यगर्भा धरती पर / अमरनाथ श्रीवास्तव
- रैदास की कठौती / अमरनाथ श्रीवास्तव
- देखें क्या होता है / अमरनाथ श्रीवास्तव
- आतिथेय पंछी ऋतुओं के / अमरनाथ श्रीवास्तव
- नर्मदा के जल बताओ / अमरनाथ श्रीवास्तव
- शोभा-यात्रा / अमरनाथ श्रीवास्तव
- जंगल शहतूतों के / अमरनाथ श्रीवास्तव
- आकृतियाँ जाने कैसी / अमरनाथ श्रीवास्तव
- हम ऐसे सम्पर्क-सूत्र से / अमरनाथ श्रीवास्तव
- कुछ ट्रेनें ऐसी भी/ अमरनाथ श्रीवास्तव
- कितना खलता है / अमरनाथ श्रीवास्तव
- इतने थोड़े जल में / अमरनाथ श्रीवास्तव
- कंचनमृग आगे मत पूछना / अमरनाथ श्रीवास्तव
- फूले जब वन पलाश / अमरनाथ श्रीवास्तव
- गोताखोर समय के आगे / अमरनाथ श्रीवास्तव
- रेंगती हवाएँ / अमरनाथ श्रीवास्तव
- कन्धे बैठी रात पूस की / अमरनाथ श्रीवास्तव
- पापा ! यह किसका बेटा है / अमरनाथ श्रीवास्तव
- उस सूखे पत्ते ने / अमरनाथ श्रीवास्तव
- इतने अर्द्ध-विराम / अमरनाथ श्रीवास्तव
- बहाने अभ्यारण्य के / अमरनाथ श्रीवास्तव
- रास्ते जब से मिले हैं / अमरनाथ श्रीवास्तव
- लेकिन ये पन्ने तो / अमरनाथ श्रीवास्तव
- इतने नीचे तापमान पर / अमरनाथ श्रीवास्तव
- लोगों की आँखों से बचकर / अमरनाथ श्रीवास्तव
- वही दुधमुँही हंसी / अमरनाथ श्रीवास्तव
- परछाईं छज्जे की / अमरनाथ श्रीवास्तव
- बे-मौसम ठण्ड / अमरनाथ श्रीवास्तव
- अज्ञात-वास / अमरनाथ श्रीवास्तव
- अन्तिम वसन्त / अमरनाथ श्रीवास्तव
- जल भरे कटोरे में / अमरनाथ श्रीवास्तव
- मेमने यातना-शिविर के / अमरनाथ श्रीवास्तव
- ग़ज़ब की हवा है / अमरनाथ श्रीवास्तव
- सनाटे से सन्नाटे तक / अमरनाथ श्रीवास्तव
- सोना मढ़े दाँत के नीचे / अमरनाथ श्रीवास्तव
- तिनकों के नखरे / अमरनाथ श्रीवास्तव
- नया साल आया है / अमरनाथ श्रीवास्तव
- सुविधा की सूली पर / अमरनाथ श्रीवास्तव
- पीहर का बिरवा / अमरनाथ श्रीवास्तव
- एक बून्द द्रवित किरण / अमरनाथ श्रीवास्तव
- क्या करें / अमरनाथ श्रीवास्तव
- आहत अनुबन्धों से / अमरनाथ श्रीवास्तव
- काल के रथ की धुरी में / अमरनाथ श्रीवास्तव
- फ़ुरसत किसको / अमरनाथ श्रीवास्तव
- तुम ठहरे पर्वत / अमरनाथ श्रीवास्तव
- खेल शुरू होता है / अमरनाथ श्रीवास्तव
- मौत के कुएँ में / अमरनाथ श्रीवास्तव
- वह जिसको कहते हैं / अमरनाथ श्रीवास्तव
- टूटे शीशे वाली खिड़की / अमरनाथ श्रीवास्तव
- महाप्रलय में / अमरनाथ श्रीवास्तव
- चौबारे तक आई कालोनी / अमरनाथ श्रीवास्तव
- निरगुन है फागुन / अमरनाथ श्रीवास्तव
- यह अध्याय तुमसे है / अमरनाथ श्रीवास्तव
- कहीं कोई बीज / अमरनाथ श्रीवास्तव
- फेफड़े जब माँगते ताज़ा हवा / अमरनाथ श्रीवास्तव