आईना-दर-आईना
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार | डी. एम. मिश्र |
---|---|
प्रकाशक | नमन प्रकाशन, अंसारी रोड दरियागंज नई दिल्ली |
वर्ष | 2016 |
भाषा | हिंदी |
विषय | ग़ज़ल संग्रह |
विधा | |
पृष्ठ | 109 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
रचनाएँ
- आइने में खरोचें न दो इस क़दर / डी. एम. मिश्र
- भेदे जो बड़े लक्ष्य को वो तीर कहाँ है / डी. एम. मिश्र
- ग़ज़ल बड़ी कहो मगर सरल ज़बान रहे / डी. एम. मिश्र
- उधर देखा, कभी खु़द की तरफ़ देखा नहीं मैंने / डी. एम. मिश्र
- हँसो या ना हँसो मातम मुझे अच्छा नहीं लगता / डी.एम. मिश्र
- किसी क़ि़ताब में जन्नत का पता देखा है / डी. एम. मिश्र
- सत्ता की कामयाबियों में देखिये उसे / डी. एम. मिश्र
- वो समंदर है तो होने दीजिए / डी. एम. मिश्र
- कितने अनपढ़ भी हैं देखे कबीर होते है / डी. एम. मिश्र
- पत्थर दिखा के उसको डराया नहीं जाता / डी. एम. मिश्र
- उससे बोलो वो मनमानी बंद करे / डी. एम. मिश्र
- हमें गुमराह करके क्या पता वो कब निकल जाये / डी. एम. मिश्र
- नादाँ है उसे प्यार जताना नहीं आता / डी. एम मिश्र
- बेवजह वो मुस्कराता यह ख़बर अच्छी नही / डी. एम. मिश्र
- अमीरी है तो फिर क्या है हर इक मौसम सुहाना है / डी. एम मिश्र