रास्ता बनता रहे / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
रचनाकार | प्रफुल्ल कुमार परवेज़ |
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प्रकाशक | उदभावना प्रकाशन |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | ग़ज़ल संग्रह |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | |
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विविध |
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- सब के हिस्से से उन्हें हिस्सा सदा मिलता रहे / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- हर गवाही से मुकर जाता है पेट / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- हमसे हर मौसम सीधा टकराता है / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- वो सराबों के समुंदर में उतर जाता है / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- हर सहर धूप की मानिंद बिखरते हुए लोग / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- ज़मीन छोड़ कर ऊँची उड़ान में ही रहा / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- ये कौन-सी फ़ज़ा है ये कौन-सी हवा / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- जब कभी उनको उघड़ा जाएगा / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- समझ सोच कर गुल हटाए गये हैं / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- जिसे देखो परेशाँ आजकल है / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- चल रहे हैं फिर भी लगता है खड़े हैं / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- देखना सुनना सुनाना सोचना / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- ख़ुद को किस्मत से तोड़ कर देखो / प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- आदमी अब भी कहाँ आज़ाद है/ प्रफुल्ल कुमार परवेज़
- बेबसों के बेकसों के ख़ून को पीता हुआ/ प्रफुल्ल कुमार परवेज़