मानोशी
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जन्म | 16 जनवरी 1973 |
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जन्म स्थान | कोरबा, छत्तीसगढ़ |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
उन्मेष (अंजुमन प्रकाशन, इलाहाबाद) | |
विविध | |
पं. विष्णु दिगम्बर पलुस्कर महाविध्यालय से "संगीत विशारद" की उपाधि | |
जीवन परिचय | |
मानोशी / परिचय | |
कविता कोश पता | |
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पुस्तकें
गीत
- माँ तुम प्रथम बनी गुरु मेरी / मानोशी
- कौन किसे कब रोक सका है / मानोशी
- अजनबी लगने लगे क्यों दो पथिक इक राह के / मानोशी
- माँ तेरी यादों के आगे / मानोशी
- अनगिन तारों में इक तारा ढूंढ रहा मन / मानोशी
- पागल मन यूँ ही उदास है / मानोशी
- आना जाना रीत पुरानी /मानोशी
- तुम ना आना अब सपनों में / मानोशी
- गीत में मैं अब तुम्हें लिख नहीं पाती / मानोशी
- परदेस में गर्मी - अभी बहुत है देर / मानोशी
- मौसमों के रंग बिखरे / मानोशी
- गीत फिर मैं लिख रही हूँ / मानोशी
- दोपहर की धूप में हम / मानोशी
- शीश झुका कर ज्यों रोये हैं / मानोशी
- कितने ही सीपी सागर में / मानोशी
- जीवन बस अपना होता है / मानोशी
- पतझड़ की पगलाई धूप / मानोशी
- तुम नहीं होते अगर / मानोशी
- श्रांत मन का एक कोना / मानोशी
- क्या यही कम है कि यह जीवन मिला / मानोशी
- शेष समय इतना करना / मानोशी
- तुम्हारे संग कुछ पल चाहता हूँ / मानोशी
- फिर फागुन आया / मानोशी
- कोई साथ नहीं देता है / मानोशी
- बहुत सुन्दर है हमारा कल यकीनन /मानोशी
- पुन: शीत का आँचल फहरा / मानोशी
- स्वार्थ मेरा रोकता है / मानोशी
- आ उठ चल, बाहर जीवन है / मानोशी
- लौट चल मन / मानोशी
- सखि बसंत आया / मानोशी
- गर्मी के दिन फिर से आये / मानोशी
- प्रिय, करो तुम याद / मानोशी
- जीवन का हर पल / मानोशी
- प्यार का रंग / मानोशी
- छू आई बादल के गांव / मानोशी
- हाय! मैं बन बन भटकी जाऊं / मानोशी
- प्रिय क्या हो जो हम बिछडें तो / मानोशी
- एक सपना जी रही हूँ / मानोशी
- बाट तेरी जोहती हूँ / मानोशी
- प्रिय क्या वह दे पाओगे तुम / मानोशी
- चलो हम आज / मानोशी
- खिल रही खिल-खिल हंसी
- नए भवन में नयी गृहस्थी / मानोशी
- दीप पर अपने शिखा को / मानोशी
- काश! / मानोशी
- वंदना/भजन / मानोशी
- नव-वर्ष / मानोशी
- तुम्हारे संग कुछ पल चाहता हूँ / मानोशी
- दुर्गा पूजा / मानोशी
ग़ज़लें
- कोई खुश्बू कहीं से आती है / मानोशी
- कहने को तो वो मुझे अपनी निशानी दे गया / मानोशी
- दोस्त बन कर मुकर गया कोई / मानोशी
- मैं खुद हाथ आगे बढ़ाता नहीं हूँ / मानोशी
- मुझसे है ये सारी दुनिया मान कर छलता रहा / मानोशी
- तेरा मेरा रिश्ता क्या है / मानोशी
- लोग मुझको कहें ख़राब तो क्या / मानोशी
- हर हुनर हम में नहीं है / मानोशी
- ये जहां मेरा नहीं है / मानोशी
- हज़ार किस्से सुना रहे हो / मानोशी
- लाख चाहो फिर भी मिलता सब नहीं है / मानोशी
- आशना हो कर कभी ना आशना हो जाएगा / मानोशी
- आपकी आँखों में मुझको मिल गयी है ज़िंदगी / मानोशी
- दुआ में मेरी यूँ कुछ असर हो / मानोशी
- आपकी यादों को जाते उम्र इक लग जायेगी / मानोशी
- मैं राह में गिरा तो जैसे टूट कर बिखर गया / मानोशी
- दे कर अपना एक पल वो मुझ पे अहसान कर गए / मानोशी
- जो अंधेरों से उठे तो फिर उजाला बन गए / मानोशी
- बाबुल की कच्ची कलियाँ हैं / मानोशी
- हज़ारों हैं खुशियाँ यहाँ ज़िंदगी में / मानोशी