त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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जन्म | 05 दिसंबर 1988 |
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जन्म स्थान | एरौत (समस्तीपुर) बिहार, भारत |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
त्रिपुरारि कुमार शर्मा / परिचय | |
कविता कोश पता | |
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कविता <sort order="asc" class="ul">
- ख़ुदकशी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- बचपन / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- हिन्दुस्तान की हालत / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- औरत / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- बेबस ज़िंदगी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- क्षितिज के उस पार / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- जीवन का अर्थ / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- सम्बंध / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- अलविदा / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- विश्वविद्यालय मेट्रो स्टेशन / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- गे (Gay) / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- बंज़र चाँद / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- कुछ भी नहीं लिखा / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- सिगरेट और सूरज / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- लकीरें / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- सुएसाइड नोट / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- दुआ / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- आरूषि / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- पानी के घाव / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- बहुत फ़र्क है तुम्हारे और मेरे भारत में / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- भगत सिंह के लिए / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- आज जबकि / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- कानून की देवी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- देश के हालात / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- तुम्हारी याद भी अब इस तरह से आती है / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- तबीयत / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- गुवाहाटी के गले से चीख निकली है / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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ग़ज़ल <sort order="asc" class="ul"> </sort>
त्रिवेणी <sort order="asc" class="ul">
- माँ से जब भी फ़ोन पर बात होती है / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- बहुत देर तक खामोश रही तुम / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- मुद्दतों पहले हमारी दोस्ती हुई थी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- बहता जाता है अँधेरा भरा दरिया / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- तुम्हारा रंग है इस तरह मेरी आंखों में / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- चाँद चुटकी भर रख दिया किसी ने / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- किसी सराय की तरह है जिंदगी मेरी / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- मेरे कमरे के कोने में अब भी रोज़ाना / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- कुछ तो मैं, मेरा ऑफिस और मेरे काम / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- मेरे ऑफिस में अब मेरा दिन का शिफ़्ट / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- सोचता हूँ कि खुदकशी कर लूँ – हमने कहा / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- हमने अब तक नहीं कहा उसको / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- मुझे मालूम है दर्द-ओ-अलम अपना / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- तुम्हारी गीली-गीली स्याह-सी आँखों में / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
- कुछ लोग मेरी ज़िंदगी से जीत कर गये / त्रिपुरारि कुमार शर्मा
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मैथिली कविता <sort order="asc" class="ul">