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कुछ वाक्य / उदयन वाजपेयी
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कुछ वाक्य
रचनाकार | उदयन वाजपेयी |
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प्रकाशक | वाणी प्रकाशन, 21-ए, दरियागंज, दिल्ली-110 002 |
वर्ष | 1995 |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविताएँ |
विधा | |
पृष्ठ | 151 |
ISBN | 81-7055-409-5 |
विविध |
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कुछ वाक्य
- आगमन / उदयन वाजपेयी
- वापसी / उदयन वाजपेयी
- बाबा / उदयन वाजपेयी
- सीढ़ियाँ / उदयन वाजपेयी
- पलंग / उदयन वाजपेयी
- कुआँ / उदयन वाजपेयी
- गुरुजी / उदयन वाजपेयी
- छुरे / उदयन वाजपेयी
- रात / उदयन वाजपेयी
- अस्पताल / उदयन वाजपेयी
- प्रश्न / उदयन वाजपेयी
- दो / उदयन वाजपेयी
- शून्य / उदयन वाजपेयी
- कोरे पन्ने / उदयन वाजपेयी
- बूढ़े दोस्त / उदयन वाजपेयी
- दो घर-1 / उदयन वाजपेयी
- दो घर-2 / उदयन वाजपेयी
- झूठ / उदयन वाजपेयी
- अन्तिम उपाय / उदयन वाजपेयी
- तस्वीर / उदयन वाजपेयी
- संकेत चिन्ह / उदयन वाजपेयी
- घर / उदयन वाजपेयी
- अन्तराल / उदयन वाजपेयी
- सन्ध्या / उदयन वाजपेयी
- आकाश का कोना / उदयन वाजपेयी
- स्कूल की बस / उदयन वाजपेयी
- रसोई / उदयन वाजपेयी
- कार / उदयन वाजपेयी
- जहाज / उदयन वाजपेयी
- रोटी / उदयन वाजपेयी
- आँगन / उदयन वाजपेयी
विरह प्रेम का अनन्त है
- अदृश्य होने से पहले / उदयन वाजपेयी
- सड़क पर धूल की तरह / उदयन वाजपेयी
- वह घर से निकली है / उदयन वाजपेयी
- वह नहीं आई / उदयन वाजपेयी
- क़िताब के अँधेरे में लगातार / उदयन वाजपेयी
- वह उसे भूल सकती है जान कर / उदयन वाजपेयी
- वह अपने मिलने के / उदयन वाजपेयी
- वह अपने हाथों से / उदयन वाजपेयी
- तुम्हें उदासी क्यों घेरती है / उदयन वाजपेयी
- वह बोल रही थी / उदयन वाजपेयी
- वापस जाने लगा है / उदयन वाजपेयी
- सम्भव है वह भूल जाए अपना प्रेम / उदयन वाजपेयी
- उसने उल्टी सैण्डिल को सीधा किया / उदयन वाजपेयी
- वह उसकी सिहरती देह में / उदयन वाजपेयी
- आकाश में घुलते-घुलते / उदयन वाजपेयी
- वह मैदान के किनारे / उदयन वाजपेयी
- वह छज्जे पर दीये जमा रही है / उदयन वाजपेयी
- कोई पुकार रहा है / उदयन वाजपेयी
- अब वह छत पर नहीं आती / उदयन वाजपेयी
- अपनी ही स्मृति की तरह / उदयन वाजपेयी
- चन्द्रमा विलय की ओर / उदयन वाजपेयी
- नीलीगिरी के काँपते तने-सी / उदयन वाजपेयी
- वह अपने मेरे घर आ सकने को / उदयन वाजपेयी
वह
- वो रही वह / उदयन वाजपेयी
- इच्छा के रेशों से / उदयन वाजपेयी
- वे अपनी ही गोद में / उदयन वाजपेयी
- द्वार तक आकर / उदयन वाजपेयी
- वे रात भर अन्त की / उदयन वाजपेयी
- ठहर जाता है हवा में / उदयन वाजपेयी
- वह आँगन में फैली चमकीली पीली धूप / उदयन वाजपेयी
- वह रसोई पूरी करती है / उदयन वाजपेयी
- वह अपने पीछे खड़ी है / उदयन वाजपेयी
- वहाँ लगभग अन्तहीन एक समारोह / उदयन वाजपेयी
- हमारे विहार-व्योम अन्तरिक्ष में / उदयन वाजपेयी
- वह अदृश्य की देहरी पर / उदयन वाजपेयी
- मेज़ पर शाल रखा है / उदयन वाजपेयी
- वह अपने सौन्दर्य का भार कन्धे पर / उदयन वाजपेयी
- वह आई है / उदयन वाजपेयी
- वह अदृश्य में निःशब्द / उदयन वाजपेयी
- तालाब पर आकर धुन्ध / उदयन वाजपेयी
- अस्पताल के अहाते में शाम हो रही थी और / उदयन वाजपेयी
- बच्चे अपने लगभग खाली बिस्तरों पर / उदयन वाजपेयी
- वह अपनी छाया / उदयन वाजपेयी
- वह मेरे अभाव में / उदयन वाजपेयी
- मैं उसे प्रकट होने वाक्य / उदयन वाजपेयी
- नीरव गलियों के ऊपर / उदयन वाजपेयी
- वह मुझे अपने स्वप्न की तरह / उदयन वाजपेयी
- वह नक्षत्र पर बैठी / उदयन वाजपेयी
अकथ कथाएँ
- एक बार / उदयन वाजपेयी
- मोहताज / उदयन वाजपेयी
- प्रेम-गाथा / उदयन वाजपेयी
- माँद / उदयन वाजपेयी
- वाक्य / उदयन वाजपेयी
- लकड़हारा / उदयन वाजपेयी
- मरना / उदयन वाजपेयी
- लड़की और पुरूष / उदयन वाजपेयी
- वृद्ध-गाथा-1 / उदयन वाजपेयी
- लगातार / उदयन वाजपेयी
- वृद्ध-गाथा-2 / उदयन वाजपेयी
- सवारी / उदयन वाजपेयी
- परिकथा / उदयन वाजपेयी
- स्वप्न / उदयन वाजपेयी
- कायान्तर / उदयन वाजपेयी