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====इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ====
<poem>
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* [[कैसे कह दूँ? / कौशल किशोर]]
'''8 मार्च 2010, अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर लखनऊ में हुई महिलाओं की रैली के बीच'''
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* [[कारखाने से लौटने पर / कौशल किशोर]]
+
* [[अंधेरे से प्रतिबद्ध ये लोग / कौशल किशोर]]
वह जुलूस के पीछे थी
+
* [[इन्तजार: चार कविताएँ / कौशल किशोर]]
उछलती-फुदकती
+
* [[तानाशाह: कुछ कविताएँ / कौशल किशोर]]
दूर से बिल्कुल मेढ़क-सी नज़र आ रही थी
+
* [[असम: फरवरी 1983 / कौशल किशोर]]
पर वह मेढ़क नहीं स्त्री थी
+
* [[एक दिन आयेगा / कौशल किशोर]]
जुलूस में चलती हुई
+
* [[पंजाब और बिहारी भाई / कौशल किशोर]]
नारे लगाती हुई
+
* [[घर बनाते / कौशल किशोर]]
उसके कंधे से लटक रहा था झोला
+
* [[प्यार / कौशल किशोर]]
जिसमें थीं कुछ मुड़ी-तुड़ी रोटियाँ
+
* [[माँ का रोना / कौशल किशोर]]
एक ग्लास
+
* [[राम सेवक की सिसकियाँ / कौशल किशोर]]
कंघा और पानी की बोतल
+
* [[पुस्तक मेले से / कौशल किशोर]]
 
+
* [[उसकी जिन्दगी में लोकतंत्र / कौशल किशोर]]
पोलियोग्रस्त उसके पैर धड़ से चिपके थे
+
* [[दुनिया की सबसे सुन्दर कविता / कौशल किशोर]]
दो सियामी जुड़वाँ बहनों की तरह
+
* [[अनुपम मारा गया, क्यों? / कौशल किशोर]]
वे धड़ के साथ उठते
+
* [[क्या है आज सबसे दुर्लभ? / कौशल किशोर]]
उसी के संग बैठते
+
* [[जनता करे, तो क्या करे / कौशल किशोर]]
दोनों हाथ उसके पैर भी थे
+
* [[बाघ-बकरी / कौशल किशोर]]
इन्हीं पर अपने पूरे शरीर को उठाती
+
* [[टोपी / कौशल किशोर]]
और आगे हवा में झटक देती
+
* [[भेडि़या निकल आया है माँद से / कौशल किशोर]]
 
+
* [[कौन जाने... / कौशल किशोर]]
इसी तरह वह आगे बढ़ रही थी जुलूस में
+
* [[अन्तर्राष्ट्रीय महिला दिवस पर / कौशल किशोर]]
इसी तरह उसने रेलवे स्टेशन के पुल को पार किया था
+
इसी तरह वह शहीद स्मारक की सीढ़ियाँ चढ़ी थी
+
इसी तरह वह आई थी गोंडा से
+
इसी तरह वह कहीं भी आ और जा सकती थी
+
कठिन ज़िन्दगी को
+
इसी तरह उसने बना दिया था आसान
+
प्रदेश की राजधानी में वह आई थी
+
समानता और सम्मान के
+
अपने संघर्ष के सौ साल को सलाम करने
+
 
+
वह आई थी
+
यह इतिहास चक्रव्यूह ही तो रहा है
+
इसे तोड़ बाहर निकलने की छटपटाहट के साथ
+
वह आई थी
+
वह जुलूस में चल रही थी पीछे पीछे
+
नारे जब हवा में गूँजते
+
जुलूस के उठते थे हाथ
+
और उसके उठते थे सिर उर्ध्वाधर दिशा में तने हुए
+
लहरा उठते बाल
+
मचलती आवारा लटें
+
हवा में तरंगित स्वर-लहरी
+
वह बिखेर रही थी सौन्दर्य
+
ख़ुशबू ऐसी जिसमें रोमांचित हो रहा था
+
उसका प्रतिरोध
+
 
+
भाप इंजन का फ़ायरमैन बनी
+
अपना सारा कोयला वह झोके दे रही थी
+
सड़क की दोनों पटरी पर खड़े लोगों के लिए
+
वह लग रही थी अलग-सी
+
कुछ अजूबा भी
+
उनके मन में थोड़ी दया
+
थोड़ा तरस भी था
+
+
और हर भाव से संवाद करती
+
वह बढ़ रही थी आगे आगे.... और आगे
+
यह जुलूस
+
रोज़-रोज़ की रैली
+
राजनीतिक खेल और तमाशा
+
शहरियो के मन में खीझ नफ़रत
+
हिकारत भरे भाव
+
कि जुटाई गई भीड़
+
पैसे के लालच में आई है यह
+
+
अपने पाँवो पर चल नहीं सकती
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हूँ.......खाक लड़ेगी सरकार से !
+
इस शहरी अभिजात्य व्यंग्य पर वह हँस रही थी
+
क्या जाने लड़ाइयाँ
+
कहाँ कहाँ और कैसे कैसे लड़ी गई हैं
+
कितनी गहरी हैं जड़ें
+
और कितना विशाल है इतिहास
+
 
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क्या मालूम
+
कि पैरों से पहले
+
वह दिल-दिमाग से लड़ी जाती हैं
+
और वह सही सलामत है उसके पास
+
पूरा साबुत
+
 
+
वह जनसभा में सबसे आगे थी
+
कृष्णा, ताहिरा, विद्या, शोभा, शारदा, विमल, रेणु.......
+
अपनी असंख्य साथियों में वह थी
+
और सब थीं उसमें समाई हुई
+
पहाड़ी नदियाँ उतर रही थीं
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चट्टानों से टकराती
+
उछाल लेती
+
लहराती मचलती बलखाती
+
बढ़ती उसी की ओर
+
 
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अब वह औरत नहीं महानद थी ।
+
</poem>
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08:20, 23 मई 2018 के समय का अवतरण

वह औरत नहीं महानद थी
Vah-aurat-nahin-mahanad-thi-kaushal-kishore.jpg
रचनाकार कौशल किशोर
प्रकाशक
वर्ष
भाषा हिन्दी
विषय
विधा
पृष्ठ
ISBN
विविध
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।

इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ