भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
सलो सिक जो / लक्ष्मण पुरूस्वानी
Kavita Kosh से
सलो सिक जो
क्या आपके पास इस पुस्तक के कवर की तस्वीर है?
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
कृपया kavitakosh AT gmail DOT com पर भेजें
रचनाकार | लक्ष्मण पुरूस्वानी |
---|---|
प्रकाशक | |
वर्ष | 2002 |
भाषा | सिन्धी |
विषय | |
विधा | कविता |
पृष्ठ | 80 |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
इस पुस्तक में संकलित रचनाएँ
- मेहनतकश सिन्धी / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- निभाइणु ई घुरिजे / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- इंकारु छालाइ / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- सूरनि जी सौगात / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- इश्तिहार / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- सुरिगु नर्गु / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- सालिक थीउ सुजांण / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- रिश्ता / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- छा करियां / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- मूंखे बि खपनि / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- निमार्ण प्रेम ऐं विश्वास जो / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- ॻाल्हि जी ॻाल्हि / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- एक्टर / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- आश / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- ख्वाब / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- इरादे जा दीआ / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- पैसे सां / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- सतगुरु सर्वानन्द / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- जय जय झूलेलाल / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- जोति में झूलण / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- अर्जु ओनाइ सॿाझा / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- इत्सान चइबो आ / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- गुल बि दिगां थियण लॻा आहिन / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- तोखां सवाइ / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- सलो सिक जो (कविता) / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- अजब जिन्दगी / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- तूं आहीं / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- वरी लॻाइंदीअ इल्जाम / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- चमचो / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- शादी बिना दाजे जी / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- डाः कवि / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- मुंघुणु ऐं मां / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- मंत्रीअ जी सभा / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- न रखिजां / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- तुहिंजी अखियुनि में / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- तुं याद आएं / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- अकेलो / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- पुलि / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- अमानत / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- पीड़ा ई पीड़ा / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- पेर वणनि जा / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- प्रेमिका जो हथु / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- पहिंजो घर / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- खुशबू तुहिंजी / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- सांई ॿुधायो / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- जाॻो / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- सिन्धु ऐं सिन्धी / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- दींदी त करि / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- ॼाण आ / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- हिसाब रखूं / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- अन्धेरो वञें / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- सौग़ात / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- तमन्ना / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- रची दिसु कंहि रंग में / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- मंजिल तूं / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- घर जी इज्जत / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- सिक जो सबूत / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- बेहिसाब / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- मुहबत जा दीआ / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- सोचु / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- गदु मूंसा / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- घटि न थींदा / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- तूं माणीं बहारुं / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- मुहिंजे अखियुनि में / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- रोई दींदा / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- दाढो दुखियो आहे / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- अरमान / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- हुस्न आफ़ताब / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- सिखूं / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- वक्त आ जालिम / लक्ष्मण पुरूस्वानी
- अहिसासु मुहब्बत जो / लक्ष्मण पुरूस्वानी