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नागफनियों ने सजाईं महफ़िलें / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
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नागफनियों ने सजाईं महफ़िलें
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रचनाकार | रामप्रसाद शर्मा "महर्षि" |
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इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- तर्जुमानी जहान की, की है / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
- सोचते ही ये अहले-सुख़न रह गये / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
- बहारें हैं फीकी, फुहारें हैं नीरस / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
- लाया था जो हमारे लिये जाम, पी गया / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
- उनका तो ये मज़ाक रहा हर किसी के साथ / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
- नाकर्दा गुनाहों की मिली यूँ भी सज़ा है / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
- इरादा वही जो अटल बन गया है / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
- मस्त सब को कर गई मेरी ग़ज़ल / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
- है भंवरे को जितना कमल का नशा / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
- यूँ पवन, रुत को रंगीं बनाये / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
- नाम दुनिया में कमाना चाहिये / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
- क्यों न हम दो शब्द तरुवर पर कहें / राम प्रसाद शर्मा "महर्षि"
- जैसी तुम से बिछुड़ कर मिलीं हिचकियाँ/ रामप्रसाद शर्मा "महर्षि"
- जाम हम बढ़के उठा लेते उठाने की तरह / रामप्रसाद शर्मा "महर्षि"
- गीत ऐसा कि जैसे कमल चाहिये / रामप्रसाद शर्मा "महर्षि"