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पनघट के गीत / हरियाणवी
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हरियाणवी लोकगीत ♦ रचनाकार: अज्ञात
- मेरी नाजुक नरम कलाई रे / हरियाणवी
- पनियां भरन चली बांकी रसीली / हरियाणवी
- खिल रहा चान्द लटक रहे तारे / हरियाणवी
- रसीले नैन गोरी के रे / हरियाणवी
- मैं तो धुर टांडे तै आया परी / हरियाणवी
- अंबर बरसा बड़ा चिवा मेरी सासड़ / हरियाणवी
- मेरा मन ते रपटा पैर फूट गई झारी / हरियाणवी
- मेरे सीस पै घड़ा घड़े पै झारी / हरियाणवी
- चारों सखी चारों ही पनियां को जायें / हरियाणवी
- मुझे पानी को जाने दो / हरियाणवी
- कोई सात जणी पाणी जायं री / हरियाणवी
- मेरी बावन गज की बूंद / हरियाणवी
- टोकणी पीतल की रे / हरियाणवी
- सिर पर दोगढ़ ठा नणद री / हरियाणवी
- सिर पै बंटा टोकणी / हरियाणवी
- तू पाणी पाणी कर रह्या बटेऊ / हरियाणवी
- हे री सासड़ आजपाणी नै जांगी / हरियाणवी
- उठ उठ री नणदल पानी ने चाल / हरियाणवी