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22:29, 29 सितम्बर 2016 का अवतरण
विकास शर्मा 'राज़'
ग़ज़ल
- अपने हालात में बदलाव नहीं चाहता मैं / विकास शर्मा 'राज़'
- दिल-खंडर में खड़े हुए हैं हम / विकास शर्मा 'राज़'
- फिर वही शब वही सितारा है / विकास शर्मा 'राज़'
- रोज़ ये ख़्वाब डराता है मुझे / विकास शर्मा 'राज़'
- हवा बहने लगी मुझमें / विकास शर्मा 'राज़'
- मंज़िलों से भी आगे निकलता हुआ / विकास शर्मा 'राज़'
- हाथ पर हाथ रख के क्यों बैठूँ / विकास शर्मा 'राज़'
- बस उतना ही पढ़ा मैंने कि जो निसाब में था / विकास शर्मा 'राज़'
- बारिश में अक्सर ऐसा हो जाता है / विकास शर्मा 'राज़'
- मिरा ही लहू है गुलो-ख़ार में / विकास शर्मा 'राज़'
- बिन तुम्हारे कितना बेतरतीब-सा रहता हूँ मैं / विकास शर्मा 'राज़'
- फ़सीले-शब पे तारों ने लिखा क्या / विकास शर्मा 'राज़'
- ज़िन्दगी की हँसी उड़ाती हुई / विकास शर्मा 'राज़'
- सबके आगे नहीं बिखरना है / विकास शर्मा 'राज़'
- दाग़ होने लगे ज़ाहिर मेरे / विकास शर्मा 'राज़'
- ग़मे-फ़िराक़ ख़िज़ाँ में मिले तो अच्छा हो / विकास शर्मा 'राज़'
- अज़ल से बंद दरवाज़ा खुला तो / विकास शर्मा 'राज़'
- उमीद, आस, अक़ीदा, दुआ, ख़ुदा सब कुछ / विकास शर्मा 'राज़'
- पतझड़ बहार कोई बड़ा मसअला नहीं / विकास शर्मा 'राज़'
- हवा के वार पे अब वार करने वाला है / विकास शर्मा 'राज़'
- आँसुओं से उसे मनाऊँ अब / विकास शर्मा 'राज़'
- अब रवानी से है नजात मुझे / विकास शर्मा 'राज़'
- रूह कुम्हलाई चेहरे मुरझाये / विकास शर्मा 'राज़'
- फ़िक्र का कारोबार था मुझमें / विकास शर्मा 'राज़'
- ज़र्रों की बातों में आने वाला था / विकास शर्मा 'राज़'
- ज़ात के दश्त से गुज़रने की / विकास शर्मा 'राज़'
- ख़िज़ाँपसंद हूँ मैं, साफ़ ताड़ सकता है / विकास शर्मा 'राज़'
- रात की ग़ार में उतरने का / विकास शर्मा 'राज़'
- कैसे भी कर कोई जुगाड़ लगा / विकास शर्मा 'राज़'