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+ | * [[खिली धूप से सीखा मैने खुले गगन में जीना / डी. एम. मिश्र]] | ||
+ | * [[इक तरफ़ हो एक नेता इक तरफ़ सौ भेड़िये / डी. एम. मिश्र]] | ||
+ | * [[सुनता नही फ़रियाद कोई हुक्मरान तक / डी. एम. मिश्र]] | ||
+ | * [[किसी जन्नत से जाकर हुस्न की दौलत उठा लाये / डी. एम. मिश्र]] | ||
+ | * [[शौक़िया कुछ लोग चिल्लाने के आदी हो गये / डी. एम. मिश्र]] | ||
+ | * [[तू जाने या जाने तेरी क़िस्मत मेरे यार / डी. एम. मिश्र]] | ||
+ | * [[गंदगी धेाने में थोड़ा हाथ मैला हो गया / डी. एम. मिश्र]] | ||
+ | * [[करो जो जी में आये कौन किसको रोकता है / डी. एम. मिश्र]] | ||
+ | * [[अगर जाँ दोस्त ही ले ले तो दुश्मन की ज़रूरत क्या / डी. एम. मिश्र]] | ||
+ | * [[रूप बदलकर एक टाँग पर खड़ा मगर है / डी. एम. मिश्र]] |
15:02, 8 जुलाई 2017 का अवतरण
रोशनी का कारवाँ
रचनाकार | डी. एम. मिश्र |
---|---|
प्रकाशक | नमन प्रकाशन, अंसारी रोड दरियागंज नई दिल्ली |
वर्ष | 2012 |
भाषा | हिंदी |
विषय | ग़ज़ल संग्रह |
विधा | ग़ज़ल |
पृष्ठ | 112 |
ISBN | 81 8129 354 1 |
विविध |
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रचनाएँ
- भूमिका / रोशनी का कारवाँ
- देखता हूँ मैं उसी का रूप हर इन्सान में / डी. एम. मिश्र
- ढूँढ रहा खोया अनुराग घर से बाहर तक / डी. एम. मिश्र
- खिली धूप से सीखा मैने खुले गगन में जीना / डी. एम. मिश्र
- इक तरफ़ हो एक नेता इक तरफ़ सौ भेड़िये / डी. एम. मिश्र
- सुनता नही फ़रियाद कोई हुक्मरान तक / डी. एम. मिश्र
- किसी जन्नत से जाकर हुस्न की दौलत उठा लाये / डी. एम. मिश्र
- शौक़िया कुछ लोग चिल्लाने के आदी हो गये / डी. एम. मिश्र
- तू जाने या जाने तेरी क़िस्मत मेरे यार / डी. एम. मिश्र
- गंदगी धेाने में थोड़ा हाथ मैला हो गया / डी. एम. मिश्र
- करो जो जी में आये कौन किसको रोकता है / डी. एम. मिश्र
- अगर जाँ दोस्त ही ले ले तो दुश्मन की ज़रूरत क्या / डी. एम. मिश्र
- रूप बदलकर एक टाँग पर खड़ा मगर है / डी. एम. मिश्र