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तप रहे हैं शब्द मन के (नवगीत संग्रह)
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रचनाकार | राहुल शिवाय |
---|---|
प्रकाशक | समय साहित्य सम्मलेन, बाँका, बिहार |
वर्ष | 2016 |
भाषा | |
विषय | |
विधा | |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
प्रतिनिधि नवगीत
- उघर रहा गणतंत्र / राहुल शिवाय
- विज्ञापन कहता है / राहुल शिवाय
- कैसे हो सुनवाई / राहुल शिवाय
- मौन भी अपराध है / राहुल शिवाय
- हैं कृषक हड़ताल पर / राहुल शिवाय
- सिर्फ बाँचने लगे समस्या / राहुल शिवाय
- नदी / राहुल शिवाय
- कितना बदल गया / राहुल शिवाय
- सन्नाटे डँसते हैं / राहुल शिवाय
- बेटा घर अब आओ / राहुल शिवाय
- गाँव का जीवन बदल गया / राहुल शिवाय
- अाग शहर में फैल रही है / राहुल शिवाय
- रामवचन घर पर आया / राहुल शिवाय
- तप रहे हैं शब्द मन के / राहुल शिवाय
- दिल्ली से आवाज उठी है / राहुल शिवाय
- यह घर दो भाई का घर है / राहुल शिवाय
- बरसो घन / राहुल शिवाय
- बार-बार क्यों शकुनी फेके / राहुल शिवाय
- नई सदी के तौर-तरीके / राहुल शिवाय
- करते सिर्फ प्रतीक्षा / राहुल शिवाय
- रहे प्रदुषण मुक्त धरा / राहुल शिवाय
- पतझड़ बीत गया / राहुल शिवाय
- नूतन वर्ष / राहुल शिवाय
- कवि करने आए हैं पाठन / राहुल शिवाय
- सिया की अग्निपरीक्षा / राहुल शिवाय