भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शील" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) |
||
पंक्ति 5: | पंक्ति 5: | ||
|उपनाम=शील | |उपनाम=शील | ||
|जन्म=15 अगस्त 1914 | |जन्म=15 अगस्त 1914 | ||
− | |जन्मस्थान= | + | |जन्मस्थान=पाली गाँव, कानपुर, उत्तर प्रदेश |
|मृत्यु=23 नवम्बर 1994 | |मृत्यु=23 नवम्बर 1994 | ||
− | |कृतियाँ=अंगड़ाई, चरख़ाशाला, लावा और फूल, कर्मवाची शब्द हैं ये, लाल पंखों वाली चिड़िया | + | |कृतियाँ=अंगड़ाई, चरख़ाशाला, लावा और फूल, कर्मवाची शब्द हैं ये, लाल पंखों वाली चिड़िया (सभी कविता-संग्रह), प्रसिद्ध नाटक — किसान, तीन दिन तीन घर, हवा का रुख़। |
− | |विविध= | + | |विविध=शील जी सनेही स्कूल के कवि हैं वे आज़ादी के आन्दोलन में कई बार जेल गये । गान्धीजी के प्रभाव मे “चर्खाशाला” लम्बी कविता लिखी । व्यक्तिगत सत्याग्रह से मतभेद होने के कारण गान्धी का मार्ग छोड़ा तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए । “मज़दूर की झोपड़ी” कविता रेडियो पर पढ़ने के कारण लखनऊ रेडियो की नौकरी छोड़नी पड़ी। ’चरख़ाशाला’, ’अंगड़ाई’, ’एक पग’, ’उदय पथ’, ’लावा और फूल’ , ’कर्मवाची शब्द हैं ये’ और ’लाल पंखों वाली चिड़िया’ आपके काव्य-संग्रहों के नाम हैं। तीन दिन तीन घर, किसान, हवा का रुख़, नदी और आदमी, रिहर्सल, रोशनी के फूल, पोस्टर चिपकाओ आदि आपके नाटक हैं । इनके कई नाटकों को पृथ्वी थियेटर द्वारा खेला गया। इन नाटकों का प्रदर्शन रूस में भी हुआ, जिनमें राजकपूर ने अभिनय किया था। |
|जीवनी=[[शील / परिचय]] | |जीवनी=[[शील / परिचय]] | ||
|अंग्रेज़ीनाम=Sheel | |अंग्रेज़ीनाम=Sheel |
20:35, 8 जून 2023 का अवतरण
मन्नूलाल द्विवेदी
जन्म | 15 अगस्त 1914 |
---|---|
निधन | 23 नवम्बर 1994 |
उपनाम | शील |
जन्म स्थान | पाली गाँव, कानपुर, उत्तर प्रदेश |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
अंगड़ाई, चरख़ाशाला, लावा और फूल, कर्मवाची शब्द हैं ये, लाल पंखों वाली चिड़िया (सभी कविता-संग्रह), प्रसिद्ध नाटक — किसान, तीन दिन तीन घर, हवा का रुख़। | |
विविध | |
शील जी सनेही स्कूल के कवि हैं वे आज़ादी के आन्दोलन में कई बार जेल गये । गान्धीजी के प्रभाव मे “चर्खाशाला” लम्बी कविता लिखी । व्यक्तिगत सत्याग्रह से मतभेद होने के कारण गान्धी का मार्ग छोड़ा तथा भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी में शामिल हुए । “मज़दूर की झोपड़ी” कविता रेडियो पर पढ़ने के कारण लखनऊ रेडियो की नौकरी छोड़नी पड़ी। ’चरख़ाशाला’, ’अंगड़ाई’, ’एक पग’, ’उदय पथ’, ’लावा और फूल’ , ’कर्मवाची शब्द हैं ये’ और ’लाल पंखों वाली चिड़िया’ आपके काव्य-संग्रहों के नाम हैं। तीन दिन तीन घर, किसान, हवा का रुख़, नदी और आदमी, रिहर्सल, रोशनी के फूल, पोस्टर चिपकाओ आदि आपके नाटक हैं । इनके कई नाटकों को पृथ्वी थियेटर द्वारा खेला गया। इन नाटकों का प्रदर्शन रूस में भी हुआ, जिनमें राजकपूर ने अभिनय किया था। | |
जीवन परिचय | |
शील / परिचय |
रचना संग्रह
- अंगड़ाई / शील (कविता-संग्रह))
- लावा और फूल / शील (कविता-संग्रह)
- कर्मवाची शब्द हैं ये / शील (कविता-संग्रह)
- लाल पंखों वाली चिड़िया / शील (कविता-संग्रह)
कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- उर्वर धरती / शील
- राह हारी मैं न हारा / शील
- अथ के लिए चलो / शील
- बीच के लोग / शील
- कनफटा / शील
- हम धरती के लाल / शील
- मध्यम वर्ग / शील
- लोहा बजेगा / शील
- वह / शील
- दीमक का घर / शील
- मेघ न आए / शील
- बैल / शील
- भाई का पत्र / शील
- हल की मूठ गहो / शील
- प्राण ! लघु मिट्टी का घेरा / शील
- 15 अगस्त 1947 / शील
- आदमी का गीत / शील
- माँझी / शील
- सबेरा / शील
- नदी के दो कूल / शील
- बजने दो तरंग / शील
- कविता व्यवसाय होती तो / शील
- एक विज्ञापन / शील
- निराला / शील
- नागार्जुन / शील
- मुक्तिबोध / शील
- बीच के लोग / शील
- दाँव-पेंच में / शील
- उन्हत्तर पूरे / शील
- फिरंगी चले गए / शील
- संध्या के बादल / शील
- मैं न हारा / शील
- मैंने वसन्त को / शील