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मधु शुक्ला
जन्म | 29 जनवरी 1964 |
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जन्म स्थान | लालगंज, रायबरेली (उ० प्र०) |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
आहटें बदले समय की, (गीत-संग्रह,(2015) | |
विविध | |
देश की क़रीब-क़रीब सभी स्तरीय साहित्यिक पत्र -पत्रिकाओं में रचनाओं का प्रकाशन, आकाशवाणी एवं दूरदर्शन, भोपाल द्वारा निरन्तर कविताओं का पाठ व प्रसारण, देश के अनेक राष्ट्रीय एवं अन्तर्राष्ट्रीय काव्य मंचों पर काव्यपाठ , हिन्दी संस्थान, लखनऊ, साहित्य अकादमी, देहरादून एवं साहित्य अकादमी, भोपाल के मंचों से एकल काव्य पाठ एवं आलेखों का वाचन ।
साथ ही नवगीत के नए प्रतिमान, शब्दायन, गीत वसुधा, नवगीत का लोकधर्मी स्वरूप, गीत सिन्दूरी-गन्ध कपूरी, सदी के नवगीत, नवगीत का मानवतावाद,समकालीन गीत कोश आदि नवगीत के प्रायः सभी उल्लेखनीय संग्रहों में सहभागिता । म० प्र० साहित्य अकादमी, भोपाल द्वारा दुष्यन्त कुमार सम्मान (2017), नटवर गीत सम्मान (2012), अभिनव कला परिषद, भोपाल द्वारा शब्द शिल्पी सम्मान (2017), निराला साहित्य संस्था, डलमऊ (उ. प्र.) द्वारा मनोहरा देवी कवयित्री सम्मान (2016), म० प्र० लेखक संघ द्वारा कस्तूरी देवी महिला लेखिका सम्मान (2021) | |
जीवन परिचय | |
मधु शुक्ला / परिचय |
कुछ प्रतिनिधि नवगीत
- अंगारे दिन / मधु शुक्ला
- बोझ सदी के ढोए / मधु शुक्ला
- हम ललित निबन्ध हो गए / मधु शुक्ला
- हम जंगली बबूल हो गए / मधु शुक्ला
- मन तो चाहे अम्बर छूना / मधु शुक्ला
- धुन्ध में डूबी हुई सुबहें / मधु शुक्ला
- दिन गुज़रते जा रहे हैं / मधु शुक्ला
कुछ प्रतिनिधि ग़ज़लें
- रिश्ते- नाते, रस्में- क़समें, मन की ख़ुशियाँ एक तरफ़ / मधु शुक्ला
- आँखों में तस्वीर तुम्हारी भर कर ग़ज़ल कहूँ / मधु शुक्ला
- झील, नदिया, खेत, जंगल हो गए बादल / मधु शुक्ला
- छिपाना भी बहुत मुश्किल, दिखाना भी बहुत मुश्किल / मधु शुक्ला
- बैठ खिड़की पर अकेली सोचती चिड़िया / मधु शुक्ला
- प्रश्न फिर लेकर खड़ी है ज़िन्दगी / मधु शुक्ला