भारत की संस्कृति के लिए... भाषा की उन्नति के लिए... साहित्य के प्रसार के लिए
"शकेब जलाली" के अवतरणों में अंतर
Kavita Kosh से
अनिल जनविजय (चर्चा | योगदान) (→प्रतिनिधि ग़ज़लें) |
|||
(2 सदस्यों द्वारा किये गये बीच के 4 अवतरण नहीं दर्शाए गए) | |||
पंक्ति 13: | पंक्ति 13: | ||
}} | }} | ||
{{KKShayar}} | {{KKShayar}} | ||
− | + | {{KKCatUttarPradesh}} | |
+ | ====प्रतिनिधि ग़ज़लें==== | ||
+ | * [[आकर गिरा था कोई परिंदा लहू में तर / शकेब जलाली]] | ||
* [[आके पत्थर तो मेरे सहन में दो-चार गिरे / शकेब जलाली]] | * [[आके पत्थर तो मेरे सहन में दो-चार गिरे / शकेब जलाली]] | ||
− | * [[ | + | * [[उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ / शकेब जलाली]] |
− | * [[ | + | * [[उतरीं अजीब रोशनियाँ रात ख़्वाब में / शकेब जलाली]] |
− | + | ||
− | + | ||
* [[खामोशी बोल उठे, हर नज़र पैगाम हो जाये / शकेब जलाली]] | * [[खामोशी बोल उठे, हर नज़र पैगाम हो जाये / शकेब जलाली]] | ||
* [[गले मिला न कभी चाँद बख्त ऐसा था / शकेब जलाली]] | * [[गले मिला न कभी चाँद बख्त ऐसा था / शकेब जलाली]] | ||
− | |||
− | |||
* [[जहाँ तलक भी ये सेहरा दिखाई देता है / शकेब जलाली]] | * [[जहाँ तलक भी ये सेहरा दिखाई देता है / शकेब जलाली]] | ||
− | * [[ | + | * [[जाती है धूप उजले परों को समेट के / शकेब जलाली]] |
− | * [[वहाँ की रोशनियों ने भी ज़ुल्म ढाए बहुत / शकेब जलाली]] | + | * [[तूने कहा न था कि मैं कश्ती पे बोझ हूँ / शकेब जलाली]] |
+ | * [[पास रह के भी बोहत दूर हैं दोस्त / शकेब जलाली]] | ||
+ | * [[फिर सुन रहा हूँ गुज़रे ज़माने की चाप को / शकेब जलाली]] | ||
+ | * [[मुरझा के काली झील में गिरते हुए भी देख / शकेब जलाली]] | ||
+ | * [[लौ दे उठे वो हर्फ़-ए-तलब सोच रहे हैं / शकेब जलाली]] | ||
+ | * [[वहाँ की रोशनियों ने भी ज़ुल्म ढाए बहुत / शकेब जलाली]] | ||
+ | * [[वही झुकी हुई बेलें वही दरीचा था / शकेब जलाली]] | ||
* [[हमजिंस अगर मिले न कोई आसमान पर / शकेब जलाली]] | * [[हमजिंस अगर मिले न कोई आसमान पर / शकेब जलाली]] | ||
− | * [[ | + | * [[कू-ब-कू दाम बिछे हों किकड़कती हो कमाँ / शकेब जलाली]] |
− | + | * [[वो सामने था फिर भी कहाँ सामना हुआ / शकेब जलाली]] | |
+ | * [[समझ सको तो ये तिश्नालबी समन्दर है / शकेब जलाली]] | ||
+ | * [[कहाँ रुकेंगे मुसाफ़िर नए ज़मानों के / शकेब जलाली]] | ||
+ | * [[पर्दा-ए-शब की ओट में ज़ोहरा-जमाल खो गए / शकेब जलाली]] | ||
+ | * [[जलते सहराओं में फैला होता / शकेब जलाली]] | ||
+ | * [[कुछ तो आता मेरी बातों का जवाब / शकेब जलाली]] | ||
+ | * [[जो भी तालिब है यक ज़र्रा उसे सहरा दे / शकेब जलाली]] |
18:04, 22 अप्रैल 2019 के समय का अवतरण
सैयद हसन रिज़वी
जन्म | 01 अक्तूबर 1934 |
---|---|
निधन | 12 नवम्बर 1966 |
उपनाम | शकेब जलाली |
जन्म स्थान | कस्बा जलाली, अलीगढ़, उत्तरप्रदेश, भारत। |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
रौशनी ऐ रौशनी, कुलियाते शकेब जलाली | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
शकेब जलाली / परिचय |
प्रतिनिधि ग़ज़लें
- आकर गिरा था कोई परिंदा लहू में तर / शकेब जलाली
- आके पत्थर तो मेरे सहन में दो-चार गिरे / शकेब जलाली
- उतर के नाव से भी कब सफ़र तमाम हुआ / शकेब जलाली
- उतरीं अजीब रोशनियाँ रात ख़्वाब में / शकेब जलाली
- खामोशी बोल उठे, हर नज़र पैगाम हो जाये / शकेब जलाली
- गले मिला न कभी चाँद बख्त ऐसा था / शकेब जलाली
- जहाँ तलक भी ये सेहरा दिखाई देता है / शकेब जलाली
- जाती है धूप उजले परों को समेट के / शकेब जलाली
- तूने कहा न था कि मैं कश्ती पे बोझ हूँ / शकेब जलाली
- पास रह के भी बोहत दूर हैं दोस्त / शकेब जलाली
- फिर सुन रहा हूँ गुज़रे ज़माने की चाप को / शकेब जलाली
- मुरझा के काली झील में गिरते हुए भी देख / शकेब जलाली
- लौ दे उठे वो हर्फ़-ए-तलब सोच रहे हैं / शकेब जलाली
- वहाँ की रोशनियों ने भी ज़ुल्म ढाए बहुत / शकेब जलाली
- वही झुकी हुई बेलें वही दरीचा था / शकेब जलाली
- हमजिंस अगर मिले न कोई आसमान पर / शकेब जलाली
- कू-ब-कू दाम बिछे हों किकड़कती हो कमाँ / शकेब जलाली
- वो सामने था फिर भी कहाँ सामना हुआ / शकेब जलाली
- समझ सको तो ये तिश्नालबी समन्दर है / शकेब जलाली
- कहाँ रुकेंगे मुसाफ़िर नए ज़मानों के / शकेब जलाली
- पर्दा-ए-शब की ओट में ज़ोहरा-जमाल खो गए / शकेब जलाली
- जलते सहराओं में फैला होता / शकेब जलाली
- कुछ तो आता मेरी बातों का जवाब / शकेब जलाली
- जो भी तालिब है यक ज़र्रा उसे सहरा दे / शकेब जलाली