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+ | * [[ज़ख़्म सारे ही गये / इरशाद खान सिकंदर]] | ||
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+ | * [[सबके दिल में ग़म होता है / इरशाद खान सिकंदर]] |
09:58, 8 अगस्त 2020 के समय का अवतरण
इरशाद खान सिकंदर
जन्म | 08 अगस्त 1982 |
---|---|
उपनाम | सिकंदर |
जन्म स्थान | उत्तर प्रदेश के बस्ती ज़िले में |
कुछ प्रमुख कृतियाँ | |
विविध | |
जीवन परिचय | |
इरशाद खान सिकंदर/ परिचय |
इरशाद खान सिकंदर की कुछ प्रतिनिधि रचनाएँ
- बन्द दरवाज़े खुले रूह में दाख़िल हुआ मैं / इरशाद खान सिकंदर
- ख़ामोशी की बर्फ़ पिघल भी सकती है / इरशाद खान सिकंदर
- सर पे बादल की तरह घिर मेरे / इरशाद खान सिकंदर
- करम है, दायरा दिल का बढ़ा तो / इरशाद खान सिकंदर
- वगरना उँगलियों पर नाचता क्या / इरशाद खान सिकंदर
- फ़र्ज़ के बंधन में हर लम्हा बँधा रहता हूँ मैं / इरशाद खान सिकंदर
- बहुत चुप हूँ कि हूँ चौंका हुआ मैं / इरशाद खान सिकंदर
- रिश्ता बहाल काश फिर उसकी गली से हो / इरशाद खान सिकंदर
- सोचने बैठा था मैं दिल की लगी / इरशाद खान सिकंदर
- मिरी ग़ज़लों में जिसने चांदनी की / इरशाद खान सिकंदर
- ज़मीनें आसमां छूने लगी हैं / इरशाद खान सिकंदर
- काग़ज़ पे दिल के तेरी यादों का दस्तखत है / इरशाद खान सिकंदर
- कितना अच्छा था / इरशाद खान सिकंदर
- चीख़ रहे हैं सन्नाटे / इरशाद खान सिकंदर
- तुमने मुझको समझा क्या / इरशाद खान सिकंदर
- दिलो-नज़र में तिरे रूप को बसाता हुआ / इरशाद खान सिकंदर
- मसायल हल न होंगे ख़ुदकुशी से / इरशाद खान सिकंदर
- हम रौशनी के शह्र में साहब अबस गए / इरशाद खान सिकंदर
- कब सोचा था दुनिया ऐसी निकलेगी / इरशाद खान सिकंदर
- ये कैसी आज़ादी है / इरशाद खान सिकंदर
- जिस्म दरिया का थरथराया है / इरशाद खान सिकंदर
- बेख़ुदी कुछ इस क़दर तारी हुई / इरशाद खान सिकंदर
- बेख़ुदी कुछ इस क़दर तारी हुई / इरशाद खान सिकंदर
- ज़ख़्म सारे ही गये / इरशाद खान सिकंदर
- घर की दहलीज़ अंधेरों से सजा देती है / इरशाद खान सिकंदर
- सबके दिल में ग़म होता है / इरशाद खान सिकंदर