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"मुखरित सम्वेदन / वीरेंद्र मिश्र" के अवतरणों में अंतर

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* [[संचित है विष और सुधा का मेरा अपना सागर मंथन / वीरेंद्र मिश्र]]
 
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* [[आस को रोकना / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[तुम जो कंचन हो, मैं जो रजकन हूँ / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[दीप में कितनी जलन है / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[गीत नहीं है भीख कि जिसका निश्चित कोई दाता हो / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[तानसेन की नगरी से जो गीत सन्देसा बनकर आए / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[मेरे गीतम आरोहों में, स्वर-गंगा ख़ुद ही उतरी है / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[कोई मुझको गायक कहता, कोई मुझको कवि समझे है / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[गाने को बैठा हूँ तो फिर, गाऊँगा मैं शान से / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[हर सुमन ही नहीं, यहाँ भ्रमर भी गाता / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[कोई सुने तो ज़रा झूम के भी गाऊँ मैं / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[दृग से दृग कहता मिलने पर, तू ही शरमा ही जाएगा / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[तुम मठाधीश, मन्दिराधीश, कैसे मन्दिर के प्रहरी हो / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[प्यार कहीं जागा है, प्यार कहीं सोया है / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[तुम सब तो कह चुके, मुझको भी कहने दो / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[तुम पलक उठाओ तो, तुम अलक सँवारो तो / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[जो मुस्करा रहा है, वो ही सुमन चमन का / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[ब्याह डाली प्रीति मैंने, अब उसे ही गा रहा हूँ / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[सुलग रहा अन्धेरा, न छोड़ साथ मेरा / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[बैठी है जो सभा, उसे उठने की इतनी जल्दी क्यों है / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[उनकी मस्ती क्या मस्ती, जो तोड़ रहे हैं प्याले / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[तुमने क्यों बाँध लिया है मुझे निगाहों में / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[तुमने हमें बुलाया साथी जब हो गए पराए हम / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[तू दुखी है, मैं दुखी हूँ, यह निकट परिचय हमारा / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[तुमने मधुवन बसा लिया है, मेरे दृग के नदी किनारे / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[फूल बनना चाहते हो, गन्ध भी बनना पड़ेगा / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[सुन रे फूल, पुकार दूर की, कब से तुझको टेर रहा हूँ / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[बाँह में पृथ्वी सम्हाले, कह रहा आकाश हमसे / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[कूल कह रहा लहर मुझे दो, फूल कह रहा भ्रमर मुझे दो / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[शूल चुभा मेरे पैरों में, तुम्हें पता क्या पीर का / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[रातों से चाँद हटा उजियाला करन्बे को / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[भीगती जा रही रात है, भीगता जा रहा है गगन / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[मन में तो है कम भावुकता, किन्तु दिखावे में ज़्यादा है / वीरेंद्र मिश्र]]
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* [[दिया जल रहा मन का जो, वह कोई दिया नहीं है भाई / वीरेंद्र मिश्र]]

11:29, 28 सितम्बर 2015 के समय का अवतरण


मुखरित सम्वेदन
Virendra Mishra (2).jpg
रचनाकार वीरेंद्र मिश्र
प्रकाशक पुस्तकायन, 2/ 4240 ए, अंसारी रोड, दरियागंज, नई दिल्ली -- 110002
वर्ष 1990
भाषा हिन्दी
विषय मुक्तक संग्रह
विधा
पृष्ठ 305
ISBN 978-93-80402-23-9
विविध
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