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15:24, 30 जनवरी 2016 के समय का अवतरण
युगमंगलस्तोत्र
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रचनाकार | बदरीनारायण चौधरी 'प्रेमघन' |
---|---|
प्रकाशक | हिन्दी-साहित्य-सम्मेलन, प्रयाग |
वर्ष | |
भाषा | हिन्दी |
विषय | कविता संग्रह |
विधा | स्फुट काव्य |
पृष्ठ | |
ISBN | |
विविध |
इस पन्ने पर दी गई रचनाओं को विश्व भर के स्वयंसेवी योगदानकर्ताओं ने भिन्न-भिन्न स्रोतों का प्रयोग कर कविता कोश में संकलित किया है। ऊपर दी गई प्रकाशक संबंधी जानकारी छपी हुई पुस्तक खरीदने हेतु आपकी सहायता के लिये दी गई है।
- मुरली राजत अधर पर / प्रेमघन
- लसत ललित सारी हिये / प्रेमघन
- दोऊ गल बाहीं दिये / प्रेमघन
- लाल लली तन हेरि कै / प्रेमघन
- प्रातहि उठि दोऊ / प्रेमघन
- मंगल प्रातहि उठे / प्रेमघन
- मंगल मय हरि सिर ऊपर / प्रेमघन
- मंगल राधा कृष्ण नाम / प्रेमघन
- वृखभानुजा माधव सुप्रातहि / प्रेमघन
- कभौ निकुंज सून मैं / प्रेमघन
- भले भाल पर बिन्दु सिन्दूर सोहै / प्रेमघन
- छहरैं मुख पै घनश्याम से केश / प्रेमघन
- इत सोहत मोरन की कँलगी / प्रेमघन
- हरि गावते तान रसाल खरे / प्रेमघन
- कालिन्दी के तीर / प्रेमघन